Friday, December 5, 2025

“गिल का बल्ला गरजा, फिर गेंदबाज़ों का कहर… ईडन गार्डन्स में KKR की बिखरी चमक!”

कोलकाता के ईडन गार्डन्स में उस रात कुछ अलग था। दर्शकों की गूंज थी, ढोल-नगाड़े बज रहे थे, लेकिन कुछ देर बाद ये सब एक दमदार सन्नाटे में तब्दील हो गया। IPL 2025 के 39वें मुकाबले में कोलकाता नाइट राइडर्स (KKR) की टीम जब मैदान पर उतरी, तो उम्मीद थी कि घरेलू मैदान का फायदा मिलेगा, लेकिन गुजरात टाइटंस ने ऐसा कुछ कर दिया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। एक तरफ शुभमन गिल ने बल्ले से आग उगली, तो दूसरी ओर KKR के करोड़ों के खिलाड़ी उम्मीदों पर पानी फेरते रहे। गुजरात ने 198 रनों का विशाल स्कोर खड़ा कर, KKR को दबाव में डाल दिया।

गुजरात की पारी की बात करें तो कप्तान शुभमन गिल ने कप्तानी पारी खेलते हुए 90 रन की विस्फोटक इनिंग खेली, जो ना केवल स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ा गई, बल्कि KKR के बॉलिंग अटैक की पोल भी खोल गई। साई सुदर्शन ने भी 52 रन ठोकते हुए ऑरेंज कैप अपने नाम कर ली। कोलकाता के गेंदबाज मानो गेंदबाज़ी भूल गए थे—विकेट की तलाश में भटकते रहे, और जब तक मैच खत्म हुआ, उनका आत्मविश्वास भी खत्म हो गया। KKR के गेंदबाजी यूनिट का इस तरह पिघल जाना टीम के संतुलन पर बड़ा सवाल उठा गया।

199 रनों का लक्ष्य पीछा करने उतरी KKR की शुरुआत बेहद ढीली रही। रहमनुल्लाह गुरबाज, जो इस सीजन का पहला मैच खेल रहे थे, महज 1 रन बनाकर आउट हो गए। कप्तान अजिंक्य रहाणे ने जरूर अर्धशतक जड़ा, लेकिन उन्हें बाकी बल्लेबाजों का साथ नहीं मिला। सुनील नरेन और वेंकटेश अय्यर जैसे दिग्गज सस्ते में आउट हो गए। खासतौर पर वेंकटेश अय्यर की 19 गेंदों पर 14 रन की धीमी पारी ने पावरप्ले के बाद की कमर तोड़ दी। और फिर जब विकेट गिरने का सिलसिला शुरू हुआ, तो KKR ने महज 35 रनों के अंदर 5 विकेट गंवा दिए। बाकी की कहानी वही थी—रिंकू सिंह और आंद्रे रसेल जैसे फिनिशर भी इस बार कुछ खास नहीं कर पाए।

KKR के लिए सबसे बड़ी चिंता उनके महंगे खिलाड़ियों की नाकामी रही। 23.75 करोड़ की कीमत पर टीम में शामिल किए गए वेंकटेश अय्यर का 73 का स्ट्राइक रेट एक बोझ बन गया। वहीं 12 करोड़ के खिलाड़ी सुनील नरेन ने भी बल्ले और गेंद दोनों से निराश किया—ना विकेट, ना रन। इसके अलावा मोईन अली का बैटिंग ऑर्डर और टीम कॉम्बिनेशन भी सवालों के घेरे में आ गया। जब लक्ष्य बड़ा हो, तो मिडिल ऑर्डर की जिम्मेदारी और आक्रामकता अहम होती है, लेकिन KKR का मिडिल ऑर्डर पूरी तरह ढह गया।

गुजरात टाइटंस की जीत उतनी ही शानदार थी, जितनी कोलकाता की हार दर्दनाक। शुभमन गिल ने जहां कप्तानी के साथ-साथ क्लास और आक्रमण का मेल दिखाया, वहीं गुजरात के गेंदबाजों ने बखूबी अपना काम किया। सवाल ये है कि KKR की हार में गलती रणनीति की थी या आत्मविश्वास की कमी की? या फिर करोड़ों की टीम में असल संघर्ष और भूख की कमी? एक बार फिर IPL ने साबित किया कि नाम बड़े होने से नहीं, काम बड़े होने से जीत मिलती है। कोलकाता को अब अगली रणनीति के लिए आत्मचिंतन करना होगा।

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