क्या आपने कभी सोने की चमक को इतना दमकता देखा है कि वो इतिहास बन जाए? सोचिए, आप सर्राफा बाजार में कदम रखें और दुकानदार कहे — “भाईसाहब, अब 10 ग्राम के लिए एक लाख लाना पड़ेगा।” हैरान हैं न? मगर ये कोई अफवाह नहीं, सच्चाई है। भारत में पहली बार सोने की कीमत 1,00,000 रुपये प्रति 10 ग्राम को पार कर गई है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि आर्थिक अस्थिरता, अंतरराष्ट्रीय तनाव और बदलते निवेश ट्रेंड्स का इशारा है। ये सोने की कीमत नहीं, बल्कि दुनिया भर की नीतियों का आईना है।
5 जून के कारोबारी दिन में जैसे ही मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) की घड़ी चली, सोने की कीमतों ने रॉकेट की तरह उड़ान भरी। 99,000 के पार जाते ही बाजार में हलचल मच गई, और घरेलू सर्राफा बाजार में 3% GST और मेकिंग चार्ज जोड़कर 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 1 लाख रुपये के आंकड़े को पार कर गया। अंतरराष्ट्रीय बाजार भी पीछे नहीं रहा — 3475 डॉलर प्रति औंस तक जा पहुंचा, जो अब तक का रिकॉर्ड है। और विशेषज्ञों का अनुमान है कि यही रफ्तार जारी रही, तो 4500 डॉलर तक का आंकड़ा भी दूर नहीं।
इस अचानक उछाल का सबसे बड़ा कारण है ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका-चीन के बीच फिर से छिड़ा ‘टैरिफ वॉर’। भारी टैक्स, जवाबी कार्रवाई और व्यापारिक रिश्तों की दरार ने वैश्विक बाजार को हिला दिया है। शेयर बाजार अस्थिर हैं, और निवेशक सुरक्षित ठिकाने की तलाश में सोने की ओर दौड़ पड़े हैं। डॉलर इंडेक्स भी 97.92 पर लुढ़क गया — ये बीते तीन सालों का सबसे निचला स्तर है। और जब डॉलर कमजोर होता है, तो निवेशकों का भरोसा सोने पर और भी मज़बूत होता है। सोने की यह चढ़ाई बाजार की कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी “सुरक्षा भावना” की जीत है।
गौर कीजिए, बीते पांच साल में गोल्ड की कीमत लगभग दोगुनी हो चुकी है। साल 2020 में जहां सोना 50,151 रुपये प्रति 10 ग्राम था, वहीं अब अप्रैल 2025 में ये आंकड़ा 1 लाख के पार निकल गया है। 2023 में यह 60,000, और 2024 में 70,000 तक पहुंचा था — यानी हर साल निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न मिला। और 2025 की शुरुआत में ही 32% का रिटर्न बता रहा है कि जनता अब स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड या क्रिप्टो की जगह ‘गोल्ड’ को सबसे भरोसेमंद माध्यम मान रही है। क्या ये रुझान आने वाले आर्थिक तूफान की ओर इशारा कर रहा है?
भारत में सोना केवल निवेश नहीं, एक सामाजिक-सांस्कृतिक प्रतीक भी है। शादी-ब्याह से लेकर त्यौहारों तक, हर जगह इसकी अहमियत बनी हुई है। लेकिन अब जब कीमतें 1 लाख को छू चुकी हैं, तो ये सवाल उठने लगा है — क्या आम आदमी की पहुंच से बाहर हो जाएगा सोना? अभी भी गांवों, कस्बों में लोग इसे संकट की घड़ी में ‘इमरजेंसी फंड’ की तरह देखते हैं। मगर अब इस ‘सेफ जोन’ की पहुंच भी सीमित हो सकती है। दूसरी ओर, अमीरों के लिए यह अवसर है और गरीबों के लिए चिंता का विषय। और यही विरोधाभास है जो TKN दिखाना चाहता है — बिना किसी पूर्वग्रह के, संतुलन के साथ।






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