क्या आपने कभी देखा है—एक ऐसी सुबह, जब एक छोटे से कस्बे की सड़कों पर लाखों कदम एक ही दिशा में बढ़ते हों, जब एक विचार किसी शहर की धड़कन बन जाए, और जब इतिहास अपने आप को दोहराने चले! मध्यप्रदेश के इंदौर जिले का महू, जिसे आज भारत जानता है बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जन्मस्थली के रूप में, फिर से इतिहास रचने को तैयार है। 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती के अवसर पर महू में एक लाख से भी ज्यादा अनुयायियों के आने की उम्मीद है—और इस बार का आयोजन पहले से कहीं ज्यादा बड़ा, भव्य और गरिमामयी होगा।
महाराष्ट्र के यवतमाल, सतारा, नासिक और मुंबई से लेकर राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ तक—बाबा साहेब के अनुयायी साल दर साल महू में उनकी जन्मस्थली पर श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं। लेकिन इस बार… यह संख्या रिकॉर्ड तोड़ने वाली है। प्रशासन को उम्मीद है कि इस साल आंबेडकर जयंती पर महू में एक लाख से अधिक लोग जुटेंगे। यह सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, यह सामाजिक न्याय, समता और शिक्षा के मूल्यों को दोहराने की राष्ट्रीय यात्रा है। यही वह भीड़ है जो बाबा साहेब के विचारों को सिर्फ याद नहीं करती, बल्कि उन्हें जीती है।
इतनी विशाल संख्या में अनुयायियों के स्वागत की चुनौती को प्रशासन ने एक जिम्मेदारी की तरह स्वीकार किया है। स्थानीय प्रशासन ने एक लाख लोगों के भोजन, पानी, पेयजल, शौचालय और रुकने की व्यवस्था की है। टैंट लगाए गए हैं, जिनमें बढ़ते तापमान को देखते हुए अतिरिक्त पंखे और कूलर लगाए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए इंदौर रेलवे स्टेशन से महू तक विशेष बस सेवाएं भी शुरू की जाएंगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने आयोजन स्थल का निरीक्षण कर अंतिम तैयारियों को हरी झंडी दे दी है।
12 अप्रैल से ही आयोजन की शुरुआत हो जाएगी, जहां शाम 4 बजे हरीफाटक से राष्ट्रीय गौरव यात्रा निकलेगी, जो बाबा साहेब स्मारक तक जाएगी। 13 अप्रैल को ‘धम्मदेसना’ और रात्रि में विशेष बैंड प्रदर्शन व आतिशबाजी का आयोजन होगा। लेकिन सबसे बड़ी बात, 14 अप्रैल को मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव खुद महू आएंगे। उनके साथ केंद्र सरकार के कुछ मंत्री भी शामिल हो सकते हैं। वहीं, कांग्रेस के नेता भी बाबा साहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे। इस आयोजन में राजनीति भी एक साथ सिर झुकाकर बाबा साहेब को नमन करती नजर आएगी।







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