जब फिल्म एक ऐसे हीरो की कहानी लेकर आए, जिसने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए हों, और जिसकी बहादुरी सालों तक अज्ञात रही हो, तो यह फिल्म देखने के लिए एक बड़ी वजह बन जाती है। यह सिर्फ एक वॉर फिल्म नहीं है, न ही केवल हिंदुस्तान और पाकिस्तान की लड़ाई की दास्तां। यह फिल्म युद्ध के मैदान में दुश्मनों को मात देने वाले भारतीय वायुसेना के जवानों के शौर्य से आगे बढ़कर, उनके जज्बे, संघर्ष और बलिदान को दर्शाती है। यह फिल्म दर्शकों को थिएटर तक खींच लाने और उनकी सोच बदलने की पूरी क्षमता रखती है। अगर आप शिकायत करते हैं कि अच्छी फिल्में नहीं बनती, तो इसे जरूर देखने जाएं।
यह कहानी भारतीय वायुसेना के जांबाज पायलट अज्जमाडा बोप्पैया देवय्या (वीर पहाड़िया) की है, जो 1965 के भारत-पाक युद्ध में लापता हो गए थे। कैसे उन्होंने एक साधारण फाइटर प्लेन से पाकिस्तान के आधुनिक विमानों को धूल चटाई, और कैसे उनकी वीरता की कहानी दशकों बाद सामने आई, यह फिल्म उन्हीं पलों को जीवंत करती है। विंग कमांडर ओपी तनेजा (अक्षय कुमार) के माध्यम से उनकी प्रेरणादायक गाथा दर्शकों तक पहुंचाई गई है। यह फिल्म न सिर्फ उनके शौर्य को सलाम करती है, बल्कि दर्शकों को गर्व और भावुकता से भर देती है।
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत उसकी कहानी है। यह हमें उन हीरोज़ से रूबरू कराती है, जिनकी बदौलत हमारा देश आज सुरक्षित है। इसमें सिर्फ युद्ध की गाथा नहीं, बल्कि जवानों के आपसी प्रेम, परिवार की तकलीफों और दुश्मन देश के बंदी सैनिकों के प्रति भारतीय सम्मान को भी दिखाया गया है। अक्षय कुमार की दमदार अदाकारी, वीर पहाड़िया के दिल छू लेने वाले डेब्यू, और शरद केलकर, निम्रत कौर व सारा अली खान जैसे कलाकारों के शानदार प्रदर्शन ने फिल्म को ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। निर्देशक संदीप केवलानी और अभिषेक अनिल कपूर ने इस कहानी को जिस अंदाज में पेश किया है, वह सराहनीय है। यह फिल्म आपको न केवल गर्व महसूस कराएगी, बल्कि सोचने पर मजबूर करेगी कि हम अपने असली हीरोज़ को कितना जानते हैं। यह सिनेमा एक अनुभव है, जिसे मिस करना किसी भी दर्शक के लिए नुकसान होगा।





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