स्वामी शिवानंद, जो हाल ही में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित हुए हैं, इन दिनों प्रयागराज महाकुंभ में उपस्थित हैं। 129 साल की उम्र में भी वह पूरी तरह से स्वस्थ और प्रफुल्लित हैं। उनका जन्म 8 अगस्त 1896 को बांग्लादेश के श्री हटा महकमा हरीगंज में हुआ था। बचपन में उन्होंने गरीबी और कठिनाइयों का सामना किया। उनके माता-पिता की निधन के बाद, स्वामी शिवानंद ने अपने गुरु के आश्रम में शरण ली, और वहीं से उनकी जीवन यात्रा का आरंभ हुआ। उनके जीवन का उद्देश्य हमेशा से योग और मानव सेवा को प्रोत्साहित करना रहा है। आज भी, वह प्रयागराज महाकुंभ के संगम की रेती पर अपने कैंप में मौजूद हैं, जहां बड़ी संख्या में लोग उनके दर्शन के लिए जुट रहे हैं।
स्वामी शिवानंद का जीवन एक प्रेरणा है। उन्होंने हमेशा लोगों को योग के माध्यम से शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उनका दिनचर्या बहुत साधारण और अनुशासित है। वे सुबह तीन बजे उठते हैं और दिन भर जप, ध्यान, सेवा और निष्काम कर्मों में व्यस्त रहते हैं। उनके भोजन में उबली सब्जियां और हल्की मिठाइयां शामिल होती हैं, तली-भुनी चीजें वे बिल्कुल नहीं खाते। उनका मानना है कि प्राणियों की निस्वार्थ सेवा ही भगवान की सेवा है। स्वामी शिवानंद की 129 साल की उम्र में भी उनके कार्य और योग के प्रति समर्पण को देखकर हर कोई हैरान है।
स्वामी शिवानंद का जीवन बेहद संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक है। उन्होंने न केवल योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाया, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि उन्हें राष्ट्रपति से पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ है। स्वामी शिवानंद का जीवन, उनकी सेवा भावना, और उनकी निष्ठा एक उदाहरण प्रस्तुत करती है कि किस तरह किसी भी परिस्थिति में योग और सेवा से जीवन को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।