क्या आप जानते हैं कि मध्य प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए मई महीना ‘ट्रांसफर मई-माह’ बन सकता है? तीन सालों से जमी हुई तबादला नीति अब एक बार फिर करवट लेने को तैयार है। सूत्रों से जो जानकारी सामने आ रही है, वो चौंकाने वाली है। सरकार 1 मई से ट्रांसफर बैन हटाने की तैयारी में है और इसके साथ ही ट्रांसफर पॉलिसी 2025 भी लागू हो सकती है। इस नीति का ड्राफ्ट बनकर तैयार है और कैबिनेट की मंजूरी इसी महीने मिलने की संभावना है। यानी अब तक जिस फाइल पर धूल जमा थी, वो फिर से एक्टिव मोड में आ गई है।
नई ट्रांसफर नीति में इस बार मंत्री से लेकर जिला प्रभारी तक की भूमिका तय की गई है। मंत्रालय स्तर पर जहां विभागीय मंत्री की अनुमति से एक जिले से दूसरे जिले में ट्रांसफर हो सकेगा, वहीं जिले के भीतर के तबादले संबंधित जिले के प्रभारी मंत्री की सहमति से होंगे। किसी भी कर्मचारी का एक ही जगह तीन साल से अधिक समय तक टिके रहना अब मुश्किल होगा – ऐसे कर्मचारियों का ट्रांसफर लगभग तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि एक विभाग में एक बार में सिर्फ 10% कर्मचारियों के ही तबादले हो सकेंगे, ताकि पूरा सिस्टम असंतुलित न हो।
जनवरी में सरकार ने कुछ शर्तों के साथ उच्च प्राथमिकता वाले कर्मचारियों को ट्रांसफर का मौका दिया था, लेकिन वह बेहद सीमित दायरे में रहा। इसके बाद से कर्मचारी संगठनों ने व्यापक तबादले की मांग तेज कर दी थी। अब जब कैबिनेट के सामने ड्राफ्ट रखा जाने वाला है, तो उम्मीद की जा रही है कि इस बार नीति व्यापक और संतुलित होगी। अगर सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो मई और जून के महीने मध्य प्रदेश के सरकारी महकमों में तबादलों की गूंज से भर जाएंगे।
2021-22 के बाद से ट्रांसफर नीति लगभग ठंडे बस्ते में चली गई थी। तीन साल से कर्मचारी एक ही जगह जमे हुए हैं, न प्रमोशन में राहत मिल रही थी, न कार्यस्थल बदलने की सुविधा। अब नई नीति के आने से उन कर्मचारियों को राहत मिल सकती है जो पारिवारिक, स्वास्थ्य या अन्य कारणों से तबादले की गुहार लगा रहे थे। जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) ने ट्रांसफर पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट अंतिम रूप दे दिया है, बस अब कैबिनेट से हरी झंडी मिलना बाकी है।






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