मध्य प्रदेश में हाल ही में एक रोचक घटना ने पक्षियों के व्यवहार और मानव हस्तक्षेप से जुड़े एक सामान्य भ्रम को लेकर चर्चा छेड़ दी। परिसर में पक्षियों का एक घोंसला मिलने के बाद, उसे सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया गया। लेकिन सवाल उठने लगा—क्या माँ पक्षी अब भी अपने अंडों और बच्चों की देखभाल करेगी? जवाब ढूंढने के लिए हमारी टीम ने लॉरेन काउंटी के वन्यजीव बचाव केंद्र की निदेशक वोंडा मॉर्टन से बातचीत की। उन्होंने बताया कि पक्षियों में गंध की क्षमता कमजोर होती है, इसलिए वे इंसानी गंध से अपने बच्चों को नहीं पहचानते। मॉर्टन ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक माता-पिता घोंसले को देख सकते हैं और अंडे गर्म रखने की प्रक्रिया चलती रहती है, तब तक घोंसला स्थानांतरित करना सुरक्षित है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि माता-पिता वापस आकर घोंसले की देखभाल करें।
मॉर्टन के अनुसार, पक्षियों को उनके प्राकृतिक परिवेश में ही रहने देना चाहिए। इंसानों द्वारा की जाने वाली गलतियाँ, जैसे चूजों को हाथ से खाना खिलाना या उन्हें उड़ाने की कोशिश करना, अक्सर उनके लिए हानिकारक होती हैं। यदि आपको किसी घायल या अकेले पक्षी का बच्चा मिले, तो उसे सुरक्षित स्थान पर रखकर वन्यजीव विशेषज्ञों से संपर्क करें। आप इसे जूते के डिब्बे या किसी अंधेरी जगह में गर्म रख सकते हैं, लेकिन उनके पोषण का कार्य माँ-पिता पर ही छोड़ें। मॉर्टन ने यह भी बताया कि अधिकांश स्तनधारी भी इसी नियम का पालन करते हैं और माताएँ अपने बच्चों की देखभाल करती रहती हैं, चाहे वे इंसानी संपर्क में आए हों। इस प्रकार यह पुरानी कहावत कि ‘यदि आपने जंगली बच्चे को छुआ, तो माँ वापस नहीं आएगी,’ पूरी तरह से गलत है।






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