भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा और चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर के बयानों में विरोधाभास ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। हाल ही में चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया का ऐलान किया गया था, लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीसीसीआई की नई पॉलिसी को लेकर जो बातें सामने आईं, उनसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या कप्तान रोहित शर्मा ने झूठ बोला था। क्या उन्हें सच में बीसीसीआई की पॉलिसी के बारे में जानकारी नहीं थी?
18 जनवरी को मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था, जिसमें भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा और चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर मौजूद थे। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का उद्देश्य चैंपियंस ट्रॉफी के लिए टीम इंडिया के स्क्वॉड का ऐलान करना था, लेकिन जैसे ही बीसीसीआई के नए नियमों पर सवाल उठने लगे, एक नया विवाद पैदा हो गया। दरअसल, बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को लेकर कुछ सख्त दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें से कुछ बिंदु मीडिया में वायरल हो गए थे।
जब प्रेस कॉन्फ्रेंस में अजीत अगरकर से इन नियमों के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि ये नियम पहले से मौजूद थे, बस अब उन्हें लिखित रूप में पेश किया गया है। अगरकर का यह बयान साफ तौर पर यह संकेत देता है कि बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को इन नए नियमों के बारे में सूचित कर दिया था। लेकिन कप्तान रोहित शर्मा का बयान इससे बिल्कुल उलट था। रोहित ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “क्या आपको ये नियम आधिकारिक रूप से बीसीसीआई से मिले हैं? पहले इसे आधिकारिक तौर पर आ जाने दीजिए।”
यह विरोधाभास सबको चौंका गया। अगरकर का बयान जहां यह बता रहा था कि नियम खिलाड़ियों को पहले ही मिल चुके थे, वहीं रोहित के बयान से यह पता चलता है कि उन तक यह जानकारी नहीं पहुंची थी। हालांकि, इस मुद्दे ने ज्यादा ध्यान तब खींचा जब एक वायरल वीडियो में यह पता चला कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले रोहित शर्मा और अगरकर के बीच एक चर्चा हो रही थी, जिसमें रोहित हल्की आवाज में यह कहते हुए सुनाई दिए कि उन्हें बीसीसीआई के सचिव के साथ एक-डेढ़ घंटे बैठना होगा, क्योंकि खिलाड़ियों के परिवारों से जुड़े कई सवाल आ रहे थे।