क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि एक खाली घर हर महीने हजारों यूनिट बिजली फांक जाए?
क्या ऐसा हो सकता है कि जिस घर में कोई रहता ही नहीं, वहां एक लाख रुपये का बिजली बिल आ जाए?
और अगर ऐसा हुआ है, तो इसमें गलती किसकी है?
बिजली विभाग की या… किसी और की?
बीजेपी सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने हिमाचल की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर सीधा हमला बोला।
9 अप्रैल को मंडी में जन संवाद के दौरान उन्होंने लोगों से कहा—
“मनाली स्थित मेरे घर का बिजली बिल एक लाख रुपये आया है। मैं तो वहां रहती भी नहीं हूं। कितनी खराब स्थिति है।”
यह बयान सिर्फ लोगों तक ही सीमित नहीं रहा, सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और विपक्षी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए गए।
लेकिन जब सवाल जनता के पैसे और सरकारी योजनाओं से जुड़ा हो, तो जवाब भी पूरी सच्चाई के साथ देना ज़रूरी हो जाता है।
कंगना के दावे पर अब सामने आया है हिमाचल प्रदेश स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड (HPSEBL) का जवाब।
बोर्ड ने साफ कहा—कंगना का बयान “पूरी तरह से भ्रामक और गलत” है।
बिजली विभाग के मुताबिक जनवरी और फरवरी 2025 का कुल बिल 90,384 रुपये है, जिसमें 32,287 रुपये का पुराना बकाया भी शामिल है।
इसका मतलब ये है कि कुल दो महीने की खपत और बकाया जोड़कर बिल बना है—not एक महीने का!
HPSEBL के अनुसार, कंगना के घर की कुल खपत 14,000 यूनिट रही। औसतन यह 5,000 से 9,000 यूनिट प्रति माह तक पहुंचती है।
इतना ही नहीं, विभाग ने यह भी साफ किया कि उन्हें हिमाचल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना का लाभ भी मिल रहा है।
लेकिन अक्टूबर से दिसंबर 2024 तक के बिल का भुगतान समय पर नहीं किया गया था।
सवाल यह उठता है—जब बिजली का नियमित उपयोग हो रहा था और सब्सिडी भी मिल रही थी, तो भुगतान में देरी क्यों?





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