क्या वो दिन अब वाकई दूर नहीं, जब देश के हर कोने से हिंदू समुदाय को पलायन करना पड़ेगा? क्या बंगाल की आग अब मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक पहुँचने वाली है? बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर, धीरेंद्र शास्त्री के बयान ने इस सवाल को देशव्यापी चर्चा का विषय बना दिया है। मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा को लेकर धीरेंद्र शास्त्री की चिंता सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं रही – उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर हिंदू ऐसे ही डरकर भागते रहे, तो पूरे देश का सामाजिक संतुलन डगमगा सकता है। लेकिन इस चेतावनी के पीछे की हकीकत क्या है? और आखिर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में ऐसा क्या हुआ, जिसने पूरे राष्ट्र को सोचने पर मजबूर कर दिया?
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हालिया सांप्रदायिक हिंसा पर बागेश्वर धाम सरकार के महाराज श्री धीरेंद्र शास्त्री ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा – “ये सिर्फ हिंसा नहीं, बल्कि एक सोची-समझी प्रायोजित रणनीति है, जिससे हिंदुओं को डराया जा रहा है। अगर यही स्थिति रही, तो वो दिन दूर नहीं जब मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से भी हिंदू भागेंगे।” उनका यह बयान न केवल समाज के एक तबके की चिंता को सामने लाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि देश के अंदरूनी ताने-बाने में कहीं कोई गहरी हलचल हो रही है। शास्त्री जी ने हिंदू समाज को आत्मनिरीक्षण करने की अपील करते हुए कहा कि जब तक हिंदू जागेगा नहीं और एकजुट नहीं होगा, तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।
बंगाल के मुर्शिदाबाद में यह हिंसा वक्फ कानून के विरोध में निकले प्रदर्शन के बाद शुरू हुई थी। बीते शुक्रवार (12 अप्रैल) को सुती, शमशेरगंज, धुलियान और जंगीपुर जैसे इलाकों में अचानक हालात बेकाबू हो गए। पत्थरबाजी, आगजनी और पुलिस पर हमले ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। पुलिस वैन और दुकानें जलाई गईं, पुलिस बूथ तक राख कर दिए गए। प्रशासन को हालात पर नियंत्रण पाने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 लागू करनी पड़ी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई और चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए।
राज्य सरकार और प्रशासन ने हिंसा पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। शनिवार तक कुल 180 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर हिंसा फैलाने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने और पुलिसकर्मियों पर हमला करने के आरोप हैं। आधिकारिक रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हिंसा में 3 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कम से कम 18 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। हालात को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं और वाहनों की सघन जांच जारी है।
इस हिंसा का सबसे भयावह पहलू यह है कि मुर्शिदाबाद जिले के सैकड़ों नागरिकों को अपनी जान बचाने के लिए भागीरथी नदी पार करके मालदा जिले में शरण लेनी पड़ी। स्थानीय लोगों की मानें तो उन्होंने अपने घर छोड़ दिए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि उनके साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है। यह एक गहरी सामाजिक चिंता को जन्म देता है – क्या हम एक ऐसे भारत की ओर बढ़ रहे हैं, जहां लोग अपने ही देश में सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे? धीरेंद्र शास्त्री के बयान इसी बिंदु पर सबसे अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं, जब वे कहते हैं – “देश का दुर्भाग्य है, खासकर हिंदुओं का दुर्भाग्य है, कि वो न एकजुट है और न जागरूक।”