क्या आपने कभी सोचा है कि एक आधी रात का मंदिर दौरा… एक विधायक पुत्र के लिए राजनीतिक संकट और धार्मिक विवाद का कारण बन जाएगा? इंदौर-3 से भाजपा विधायक गोलू शुक्ला के बेटे रुद्राक्ष शुक्ला का नाम अब सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रह गया है। देवास की पवित्र चामुंडा टेकरी पर, एक पुजारी के साथ कथित मारपीट और मंदिर बंद होने के बावजूद जबरन पट खुलवाने के प्रयास ने इस मामले को न सिर्फ गंभीर बना दिया, बल्कि धार्मिक भावनाओं को भी झकझोर दिया है। ये सिर्फ एक कानूनी केस नहीं, बल्कि आस्था, सत्ता और सामाजिक मर्यादाओं का टकराव है।
11 अप्रैल की आधी रात को लगभग एक दर्जन गाड़ियों के काफिले के साथ रुद्राक्ष शुक्ला और उनके साथी देवास पहुंचे। मंदिर बंद हो चुका था, लेकिन कथित तौर पर इन्होंने पुजारी से जबरदस्ती पट खोलने की मांग की। जब पुजारी के बेटे ने इसका विरोध किया, तो उस पर गाली-गलौज और बदसलूकी हुई। पुजारी उपदेशनाथ के मुताबिक, रुद्राक्ष के साथियों में से जीतू रघुवंशी ने उनके बेटे के साथ मारपीट की। इस पूरी घटना का वीडियो भी सामने आया, जिससे मामला और गंभीर हो गया। बाद में पुजारी परिवार ने रुद्राक्ष शुक्ला का नाम शिकायत में लिया, हालांकि बाद में वे बयान से पलट भी गए।
12 अप्रैल को देवास पुलिस ने वीडियो फुटेज और पुजारी के बयान के आधार पर रुद्राक्ष समेत 9 लोगों पर केस दर्ज किया। इनमें अमन शुक्ला, हनी, लोकेश चंदवानी, मनीष तेजवानी, अनिरुद्ध पंवार, जीतू रघुवंशी, सचिन और प्रशांत शामिल हैं। 16 अप्रैल की शाम को रुद्राक्ष ने कोतवाली थाने में चार अन्य साथियों के साथ सरेंडर किया। हालांकि, उन्हें निजी मुचलके पर जमानत मिल गई। इसके बाद रुद्राक्ष सीधे माता टेकरी पहुंचे और वहां पुजारी के पैर छूकर माफी मांगी। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जनता के बीच कई सवाल खड़े कर गया – क्या यह पछतावा था या रणनीतिक प्रदर्शन?
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने आरोपियों को “हिंदू औरंगजेब” करार दिया, जबकि दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि रुद्राक्ष नशे में था और सरकार उसे बचाने की कोशिश कर रही है। वहीं, इंदौर पुजारी संघ ने आरोपियों को माफी मांगने के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया। कुछ कांग्रेस नेताओं ने तो पुजारी के पैर धोकर माफी मांगते हुए एक बड़ा सांकेतिक विरोध भी किया। इस प्रकरण ने ना सिर्फ भाजपा की छवि को प्रभावित किया बल्कि धार्मिक नेताओं की सुरक्षा और गरिमा पर भी सवाल खड़े किए।