Tuesday, April 8, 2025

Bhopal में इश्क की आड़ में मौत: प्रेमिका के ‘मर जाओ’ मैसेज के बाद युवक ने लगाई फांसी!

भोपाल के अन्ना नगर की एक ठंडी रात में एक मां अपने बेटे की याद में रोती रही… और उसी रात एक बेटे ने मौत को गले लगा लिया। लेकिन मौत से पहले उसने कुछ लिखा… कुछ बोला… और एक वीडियो रिकॉर्ड किया। वीडियो में आंखें डरी हुई थीं, लफ्ज़ थरथराते थे – “बहुत डर लग रहा है, बचाने आजा”। मगर दूसरी तरफ से आया सिर्फ दो शब्दों का जवाब – “मर जाओ।”
क्या किसी के कहे ये दो शब्द किसी की जान ले सकते हैं? भोपाल में 19 साल के रोहन मोरे की मौत सिर्फ आत्महत्या नहीं, बल्कि एक सवाल बन गई है – क्या इश्क अब इंसाफ मांग रहा है?

8 दिसंबर 2024 की इस खौफनाक शाम को रोहन मोरे ने पहले तो अपनी कलाई की नस काटी, लेकिन जब जान बची रही, तो उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। रोहन का परिवार अन्ना नगर में रहता है और वह भोपाल मेले में चाइनीज फूड स्टॉल लगाता था। इससे पहले वह एक कार शोरूम में बतौर सेल्समैन भी काम कर चुका था। अपने आखिरी पलों में रोहन ने न सिर्फ वीडियो रिकॉर्ड किया, बल्कि अपनी प्रेमिका से व्हाट्सएप पर बातचीत भी की – जिसमें वो उसे बार-बार रोकने की गुहार लगाता रहा।

मौजूद वीडियो और चैट्स के स्क्रीनशॉट इस दर्दनाक कहानी को और भी गहराई देते हैं। चैट में साफ देखा जा सकता है कि रोहन अपनी प्रेमिका से कहता है – “बहुत डर लग रहा है, बस एक बार कह दो कि रुक जाओ।” लेकिन जवाब में लड़की कहती है – “मर जाओ।”
परिवार का आरोप है कि ये बातचीत आत्महत्या को उकसाने के पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। मां रेखा मोरे का कहना है कि उन्होंने सारे चैट्स और वीडियो एक पेन ड्राइव में पुलिस को सौंप दिए, फिर भी कार्रवाई की बजाय गवाह लाने को कहा जा रहा है।

इकलौते बेटे की मौत से टूट चुकी मां रेखा कहती हैं – “मेरे बेटे की जान उस लड़की के कारण गई है, जिसने उसे जीने की बजाय मरने को कहा। मैं आखिरी सांस तक लड़ूंगी, चाहे मुझे एक-एक दरवाजा क्यों न खटखटाना पड़े।”
उनका कहना है कि बेटे का करियर, पढ़ाई और नौकरी – सब कुछ इस रिश्ते के अचानक टूटने के बाद बर्बाद हो गया। पहले शादी की बात चल रही थी, दोनों परिवारों को जानकारी थी, लेकिन लड़की ने अचानक रिश्ता तोड़ दिया और फिर बेटे का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा।

परिजन आरोप लगा रहे हैं कि पुलिस सिर्फ औपचारिकताएं निभा रही है। हर बार थाने जाकर लौटना पड़ता है। जबकि TI अवधेश सिंह तोमर का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है, और साक्ष्य मिलते ही कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि मृतक के माता-पिता के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, और स्वतंत्र गवाहों की तलाश की जा रही है। लेकिन सवाल ये है कि जब वीडियो और चैट जैसी डिजिटल गवाहियां मौजूद हैं, तो पुलिस किस गवाह का इंतजार कर रही है?

जब एक मां अपने इकलौते बेटे को न्याय दिलाने के लिए महीनों दर-दर भटक रही है, तो क्या हमारी कानून व्यवस्था और संवैधानिक संस्थाएं उस पीड़ा को सुन रही हैं? क्या डिजिटल सबूतों के इस युग में अब भी इंसाफ के लिए “गवाह” की जरूरत है या फिर किसी गरीब का दर्द बस फाइलों में दफन हो जाता है? ये मामला सिर्फ रोहन की मौत का नहीं, बल्कि हमारी न्याय व्यवस्था की साख का है। क्या पुलिस अब भी चुप रहेगी या एक मां की पुकार को सुना जाएगा?

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