Tuesday, April 1, 2025

Bihar में शिक्षक भर्ती पर Domicile Policy का विवाद, सरकार के फैसले से छात्रों में आक्रोश

बिहार में शिक्षकों की भर्ती को लेकर लंबे समय से चल रही बहस फिर से गर्म हो गई है। राज्य के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डोमिसाइल पॉलिसी लागू नहीं होगी। यानी, बिहार के अलावा दूसरे राज्यों के उम्मीदवार भी शिक्षक भर्ती में आवेदन कर सकेंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि शिक्षा मंत्रालय ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को 7,000 दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती करने के निर्देश दिए हैं, जिसका नोटिफिकेशन जल्द जारी होगा। यह बयान विधानसभा के क्वेश्चन आवर के दौरान तब आया, जब आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने सरकार से पूछा कि बिहार के उम्मीदवारों के लिए नौकरियों में आरक्षण क्यों नहीं है। शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया कि 80% नौकरियां बिहार के उम्मीदवारों को ही दी जाती हैं, जबकि दूसरे राज्यों के सिर्फ 20-22% उम्मीदवारों को मौका मिलता है। हालांकि, बिहार के शिक्षक संगठन और युवा बेरोजगार सरकार के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं।

इस मुद्दे पर मानेर के विधायक भाई वीरेंद्र ने दिव्यांग शिक्षकों की भर्ती को लेकर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि बिहार के केवल 44 दिव्यांग शिक्षकों को नौकरी मिली है, जबकि अन्य राज्यों के 121 दिव्यांग उम्मीदवारों को अवसर दिया गया। इसे बिहार के उम्मीदवारों के साथ अन्याय बताते हुए उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। इस पर शिक्षा मंत्री ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है और दिव्यांग उम्मीदवारों की भर्ती प्रक्रिया अन्य भर्तियों से अलग होती है। वहीं, बिहार युवा शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपांकर गौरव ने सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया और मांग की कि शिक्षक भर्ती में 90% सीटें बिहार के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित की जानी चाहिए, जबकि बाहरी उम्मीदवारों के लिए सिर्फ 10% सीटें छोड़ी जाएं। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब बिहार के छात्र उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते, तो दूसरे राज्यों के उम्मीदवारों को बिहार में आवेदन करने की छूट क्यों दी जा रही है?

डोमिसाइल पॉलिसी को लेकर बिहार के छात्रों का आक्रोश नया नहीं है। जून 2024 में इस नीति को लागू करने की मांग को लेकर उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर कैंपेन चलाया था, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक ट्वीट किए गए थे और यह मुद्दा ट्रेंड करने लगा था। इससे पहले जुलाई 2023 में पटना में इस मांग को लेकर बड़ा प्रदर्शन भी हुआ था, जिसमें छात्रों ने चक्का जाम किया और पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया था। अब यह मुद्दा एक बार फिर राजनीतिक रूप ले चुका है। कुछ ही दिनों पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने छात्रों से वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो बिहार सरकार की नौकरियों में सिर्फ बिहार के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी और 100% डोमिसाइल पॉलिसी लागू की जाएगी। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले यह मुद्दा एक बड़े चुनावी मुद्दे के रूप में उभर सकता है, जो बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगा।

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