राजद विधायक सऊद आलम ने हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणी की है। मुस्लिम बहुल क्षेत्र किशनगंज के ठाकुरगंज से विधायक सऊद आलम ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने नीतीश कुमार को “आस्तीन का सांप” कहा और आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा और आरएसएस का साथ देकर मुसलमानों के साथ धोखा किया है। उनका यह बयान राज्य की राजनीति में हलचल पैदा कर चुका है।
विधायक सऊद आलम ने वक्फ संपत्ति पर सरकार के रवैये को न केवल मुस्लिम विरोधी बताया, बल्कि उन्होंने जेडीयू के मुस्लिम नेताओं से पार्टी छोड़ने की अपील भी की। उन्होंने कहा कि अगर वे इस बिल के खिलाफ खड़े नहीं हुए तो मुस्लिम समाज उन्हें कभी माफ नहीं करेगा। उनका कहना है कि वक्फ की संपत्तियाँ मुसलमानों के पूर्वजों द्वारा दान की गई थीं और इन्हें छीनने का प्रयास निंदनीय है।
सऊद आलम ने मीडिया से बात करते हुए वक्फ संशोधन कानून को पूरी तरह मुस्लिम समाज के अधिकारों के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि मस्जिदें, मदरसे, मकतब और कब्रिस्तान वक्फ संपत्तियों का हिस्सा हैं और इन पर मुसलमानों का ही अधिकार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि राजद इस कानून का विरोध करेगी और नेता तेजस्वी यादव इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे। यह बयान मुस्लिम समुदाय के बीच उनके समर्थन को दर्शाता है।
विधायक ने मंदिरों की संपत्तियों को लेकर भी सवाल उठाए और सरकार से मांग की कि अगर वक्फ संपत्ति का उपयोग सार्वजनिक कार्यों में किया जा सकता है, तो फिर मंदिरों की अपार संपत्ति का उपयोग गरीबों की मदद के लिए क्यों नहीं किया जाता। उन्होंने कहा कि हिन्दू संगठनों के पास इतना सोना है कि उससे दस हिंदुस्तान बनाए जा सकते हैं। इस बयान ने धार्मिक संपत्तियों की पारदर्शिता और सरकारी भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर देशभर में मुस्लिम समुदाय विरोध प्रदर्शन कर रहा है। इस कानून के चार मुख्य बिंदु – गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति, सरकारी नियंत्रण का बढ़ना, संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन और धार्मिक संपत्तियों का अधिग्रहण – को मुस्लिम समाज अपने अधिकारों के खिलाफ मानता है। सऊद आलम का यह बयान उसी गुस्से का प्रतीक है, जो समुदाय में वक्फ कानून के खिलाफ उभर रहा है।






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