➡️ स्वास्थ्य सेवाओं में खाली पदों को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
➡️ कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस का सवाल- 86% मामलों में सरकार दे रही है गलत जानकारी
➡️ मंत्री का जवाब- अगले 5 महीनों में सभी रिक्त पदों पर होगी भर्ती
विधानसभा में उठा अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी का मुद्दा
मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान कांग्रेस विधायक पंकज उपाध्याय ने राज्य के अस्पतालों में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या को लेकर सवाल खड़ा किया। उन्होंने सरकार से पूछा कि 2016 से 2024 तक प्रसव के दौरान हुई महिलाओं और नवजात शिशुओं की मौतों का ब्योरा दिया जाए। इसके साथ ही, उन्होंने खाली पदों और स्वीकृत पदों की जानकारी मांगी।
विधायक उपाध्याय ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी है, लेकिन सरकार इस सच को छिपाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि कैग (CAG) की रिपोर्ट में 86% मामलों में सरकार द्वारा सही जानकारी न देने की बात सामने आई है।
स्वास्थ्य मंत्री का जवाब, 5 महीने में भर्ती का दावा
कांग्रेस के आरोपों पर जवाब देते हुए लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि सरकार लगातार प्रयास कर रही है और कैग की रिपोर्ट में बताए गए मुद्दों पर गंभीरता से अमल किया जा रहा है। मंत्री ने आश्वासन दिया कि अगले 5 महीनों के भीतर अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ की रिक्तियों को भर दिया जाएगा।
हालांकि, कांग्रेस विधायक मंत्री के जवाब से असंतुष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में इतनी गंभीर होती तो यह समस्या वर्षों से बनी नहीं रहती। विपक्ष का आरोप है कि सरकार सिर्फ वादे कर रही है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है।
विपक्ष ने किया सदन से वॉकआउट, सरकार के खिलाफ नारेबाजी
मंत्री के जवाब से नाराज होकर कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। सदन के बाहर आकर कांग्रेस विधायकों ने सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की मांग उठाई। कांग्रेस का कहना था कि सरकार सिर्फ घोषणाओं तक सीमित है, जबकि अस्पतालों में मरीजों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं।
इससे पहले, कांग्रेस विधायकों ने अनोखे अंदाज में विरोध दर्ज कराया। वे काले एप्रन पहनकर विधानसभा पहुंचे और अपने हाथों में सोने की ईंटों के प्रतीकात्मक पोस्टर लिए हुए थे। वे करोड़पति कॉन्स्टेबल मामले की जांच की मांग कर रहे थे और सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप लगा रहे थे।
‘सोने की ईंट किसकी है?’ कांग्रेस ने खड़े किए सवाल
विधानसभा के बाहर कांग्रेस विधायकों ने नारा लगाया— ‘सोने की ईंट किसकी है, जांच कराओ!’ दरअसल, कांग्रेस करोड़पति कॉन्स्टेबल मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रही थी। उनका आरोप था कि सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी हुई है और जनहित के मुद्दों को दबा रही है।
कांग्रेस विधायकों ने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा चुकी हैं और सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की भारी कमी है। इसके बावजूद, सरकार इस पर ध्यान देने के बजाय घोटालों को छिपाने में लगी हुई है।





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