मुंबई के जाने-माने स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर बनाए गए एक पैरोडी सॉन्ग के चलते मुंबई पुलिस ने उन्हें समन जारी किया है। मंगलवार को खार पुलिस स्टेशन में सुबह 11 बजे पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन मुंबई में मौजूद न होने की वजह से कामरा हाजिर नहीं हुए। पुलिस ने उनके घर नोटिस की फिजिकल कॉपी भेजी और वॉट्सऐप पर भी सूचना दी गई। इसके अलावा, पुलिस उनके मुंबई स्थित घर भी पहुंची, जहां उनके माता-पिता रहते हैं।
इस विवाद के बीच डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि व्यंग्य और कटाक्ष की भी एक सीमा होती है, और ऐसा लगता है कि कुणाल कामरा ने यह सब “सुपारी” लेकर किया है। शिंदे ने इशारों में कहा कि व्यंग्य करते समय शिष्टाचार बनाए रखना जरूरी है, नहीं तो एक्शन का रिएक्शन भी होता है। विवादित गाने में शिंदे को “गद्दार” कहा गया, जिससे उनके समर्थक भड़क उठे।
स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने शो में एक लोकप्रिय फिल्मी गाने की पैरोडी बनाकर शिंदे के राजनीतिक सफर पर कटाक्ष किया था। इस गाने में शिंदे को दलबदलू और फडणवीस की गोद में बैठने वाला बताया गया। कामरा ने अपने वीडियो में शिवसेना और एनसीपी के टूटने पर भी तंज कसा था। इस वीडियो के सामने आते ही शिंदे गुट के समर्थकों ने खार इलाके के ‘हैबिटेट कॉमेडी क्लब’ में तोड़फोड़ कर दी। शिंदे ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी का दुरुपयोग बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यंग्य नहीं, बल्कि एक राजनीतिक एजेंडा है।
तोड़फोड़ की घटना पर कुणाल कामरा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वह अपने बयान पर माफी नहीं मांगेंगे और जिस जगह पर उनका शो रिकॉर्ड किया गया था, वहां हुई तोड़फोड़ की निंदा की। इस बीच, 24 मार्च को मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने विधानसभा में घोषणा की कि कामरा की कॉल रिकॉर्डिंग, सीडीआर (कॉल डिटेल रिकॉर्ड) और बैंक स्टेटमेंट की जांच होगी। सरकार यह भी पता लगाएगी कि क्या इस वीडियो के पीछे कोई और शख्स या संगठन शामिल है।
उधर, शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस पैरोडी में डिप्टी सीएम शिंदे की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई। इसके विरोध में रविवार रात यूनिकॉन्टिनेंटल होटल में भी तोड़फोड़ की गई, जहां यह शो हुआ था। इस मामले में 40 शिवसैनिकों पर एफआईआर दर्ज हुई है। सवाल उठता है कि क्या पैरोडी और व्यंग्य की आड़ में निजी हमले करना सही है, या फिर इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता माना जाना चाहिए?