वाराणसी, उत्तर प्रदेश: वाराणसी जिले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। बुधवार को फरक्का एक्सप्रेस के एस-5 कोच से एक मानव तस्कर को पाँच बच्चों के साथ गिरफ्तार किया गया। यह घटना वाराणसी के इतिहास में विशेष है क्योंकि यह एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग थाने में दर्ज होने वाला पहला मुकदमा है। थाने के चार साल पूरे होने के बाद यह पहली बार है जब किसी तस्करी के मामले में आधिकारिक केस दर्ज किया गया है।
पकड़ा गया तस्कर अब्दुल अजीज शेख पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के कालिया चक थाना क्षेत्र के नया ग्राम का निवासी है। पुलिस की जानकारी के अनुसार, वह झारखंड से इन पाँच बच्चों को लेकर दिल्ली की ओर जा रहा था। दिल्ली में इन बच्चों को बंधुआ मजदूरी के लिए निर्माण स्थलों पर काम कराने की योजना थी। यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ भी है।
इस सफल छापेमारी के दौरान आरपीएफ (रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स) और “बचपन बचाओ आंदोलन” संस्था की टीम भी मौजूद रही। इन संस्थाओं ने बच्चों को तस्कर के चंगुल से मुक्त कराने में अहम भूमिका निभाई। बच्चों को तत्काल सुरक्षा में लेकर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया, जहाँ उनकी काउंसलिंग और देखभाल की जा रही है। यह कदम बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी था।
आरोपी अब्दुल अजीज शेख को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। पुलिस की पूछताछ में अब्दुल ने स्वीकार किया कि वह बच्चों को मज़दूरी के नाम पर दिल्ली ले जा रहा था, लेकिन उन्हें काम के नाम पर बंधक बनाकर रखा जाता। इस गिरफ्तारी से एक बड़े मानव तस्करी गिरोह की कड़ी सामने आने की उम्मीद है, और आगे की जांच जारी है।
इस अभियान में इंस्पेक्टर विजय कुमार शुक्ला के नेतृत्व में कई पुलिस अधिकारी शामिल थे। उप निरीक्षक घनश्याम तिवारी, आरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक धर्मेंद्र कुमार यादव, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग पुलिस के सिपाही वैभव त्रिपाठी और मनोज कुमार चौहान भी मौके पर मौजूद थे। इस पूरे अभियान ने साबित कर दिया कि जब पुलिस, सामाजिक संस्थाएं और जागरूक नागरिक एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो मानव तस्करी जैसे घिनौने अपराधों पर कड़ा प्रहार किया जा सकता है।





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