Friday, December 5, 2025

Chhindwara News: छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में लहलहाई जन सियासी फसल, क्यों गायब हैं किसानों के मुद्दे, किस दल के सामने क्या है चुनौती ?

चुनावी संग्राम कांग्रेस से नकुल नाथ व भाजपा से विवेक बंटी साहू बने पहलवान

मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की देशभर में चर्चा है। मगर यहां किसानों की चर्चा कोई भी दल नहीं कर रहा है। सियासी गलियारों में किसानी मुद्दे गायब हैं। संतरा कपास और गेहूं पैदा करने वाले किसानों का हाल बेहाल है। कांग्रेस से नकुल नाथ और भाजपा से विवेक बंटी साहू चुनाव मैदान में है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर सियासी तापमान बढ़ने लगा है। मध्य प्रदेश की यह इकलौती लोकसभा सीट है जिसे भारतीय जनता पार्टी मोदी लहर में भी जीत नहीं पाई है। 2019 लोकसभा चुनाव में यहां से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ ने जीत दर्ज की थी। मध्य प्रदेश की छह लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होना है। इनमें छिंदवाड़ा सीट भी शामिल है।
किसानों के मुद्दे गायब
छिंदवाड़ा सीट की चर्चा खूब है लेकिन यहां किसानों की बात कोई नहीं कर रहा है। यहां कपास और संतरे की खेती करने वाले किसान परेशान हैं। पिछले महीने हुई बरसात और ओलावृष्टि ने संतरा किसानों पर कहर बरपाया है। मगर इनकी न तो कोई सुध ले रहा और न ही चर्चा हो रही। अभी तक मु्आवजा का एलान भी नहीं हुआ है।
कोई दल नहीं पूछ रहा हाल
किसान एकनाथ गुर्वे के मुताबिक संतरा 300 रुपये कैरेट में बिक रहा है। पिछले साल यह कीमत 600 से 800 रुपये थी। किसानों ने संतरे का समर्थन मूल्य तय करने की मांग की। किसान सीताराम भादे ने कहा कि किसानों के प्रति न तो भाजपा ने ध्यान दिया और न ही कांग्रेस ने। छिंदवाड़ा के ही सौंसर और पांढुर्णा में कपास की पैदावार होती है। कपास किसान भी परेशान हैं। किसान रूपेश धुर्वे सिवनी गांव के रहने वाले हैं। उनका कहना कि मौसम की वजह से कपास में नमी आ चुकी है। यही वजह है कि बिक्री नहीं हो पा रही है। बेमौसमी बारिश का गेहूं पर भी असर पड़ा है।
दूसरी बार नकुल नाथ मैदान में
कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ छिंदवाड़ा के सियासी रण में दूसरी बार कांग्रेस से उतरे हैं। भाजपा ने विवेक बंटी साहू को टिकट दिया है। दोनों ही दलों के सामने इस सीट पर चुनौती कम नहीं है। यहां कांग्रेस के करीब छह हजार छोटे-बड़े नेता और कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है। वहीं भाजपा के सामने पार्टी के पुराने नेताओं को साधने की चुनौती है।
करीबी छोड़ रहे साथ
भाजपा लगातार छिंदवाड़ा में कमल नाथ के करीबियों को तोड़ने में जुटी है। कमलेश शाह समेत तीन पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। 20 से अधिक सरपंच भी भाजपा में जा चुके हैं। 12 से ज्यादा जिला और ब्लॉक स्तर के पदाधिकारी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। कई पार्षदों ने भी पाला बदल लिया है।
सिर्फ एक बार हारी कांग्रेस
छिंदवाड़ा सीट की पूरे देश में चर्चा है। इस सीट पर कमल नाथ परिवार का दबदबा है। 44 साल से नाथ परिवार ने छिंदवाड़ा को अपना अभेद्य किला बना रखा है। कांग्रेस सिर्फ एक बार एक उपचुनाव में हारी है। मगर इस बार भाजपा ने भी पूरी ताकत इस सीट पर झोंक रखी है। इस बार नाथ परिवार के सामने अपने सियासी किले को बचाने की चुनौती है। कमल नाथ नौ बार छिंदवाड़ा से सांसद रहे। 1997 उपचुनाव में भाजपा नेता सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हराया था। इसके बाद वे 2014 तक यहां से सांसद रहे। वर्तमान में उनके बेटे नकुलनाथ सांसद हैं।

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