उत्तराखंड की पवित्र चारधाम यात्रा (Chardham Yatra) में अब एक नई व्यवस्था लागू होने जा रही है। इस बार यात्रा पंजीकरण को आधार कार्ड से जोड़ने की तैयारी की जा रही है, जिससे तीर्थयात्रियों को सुव्यवस्थित ढंग से यात्रा का अनुभव मिल सके। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) को अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही अनुमति मिलेगी, इस प्रक्रिया को लागू करने में लगभग 1 महीने का समय लगेगा। यह कदम यात्रा को सुरक्षित और संगठित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
चारधाम यात्रा इस साल 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हो जाएगी। यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण 11 मार्च से ही प्रारंभ कर दिए जाएंगे, ताकि तीर्थयात्री समय पर पंजीकरण कर सकें और यात्रा की योजना बना सकें। अगर 11 मार्च से पहले आधार से पंजीकरण जोड़ने की अनुमति मिल जाती है, तो यह प्रक्रिया उसी समय से लागू कर दी जाएगी। इससे न केवल यात्रा का प्रबंधन आसान होगा, बल्कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।
पिछले वर्ष चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों का जबरदस्त उत्साह देखने को मिला था। आंकड़ों के अनुसार, 2023 में 46 लाख से अधिक श्रद्धालु उत्तराखंड के पवित्र धामों के दर्शन करने पहुंचे थे। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन से यात्रा के दौरान भीड़ प्रबंधन एक चुनौती बन गया था। इसी अनुभव को देखते हुए इस वर्ष आधार से जुड़े पंजीकरण को लागू करने का निर्णय लिया गया है, जिससे भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा प्रबंधों को और भी मजबूत बनाया जा सके।
चारधाम यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उत्तराखंड की आर्थिक व्यवस्था की भी रीढ़ मानी जाती है। विशेष रूप से चमोली, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिले, जहां चारधाम स्थित हैं, पूरी तरह से इस यात्रा पर निर्भर हैं। इसके अलावा, हरिद्वार, देहरादून, टिहरी और पौड़ी जिलों की आर्थिकी को भी चारधाम यात्रा से बड़ा लाभ होता है। इसलिए, आधार से जुड़े पंजीकरण के माध्यम से यात्रा को अधिक सुव्यवस्थित बनाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
सरकार का यह कदम डिजिटल इंडिया के विजन को भी साकार करता है। आधार से जुड़ा पंजीकरण न केवल तीर्थयात्रियों की पहचान को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि पंजीकरण प्रक्रिया को भी पारदर्शी और सरल बनाएगा। इसके अलावा, इससे धोखाधड़ी के मामलों में भी कमी आने की उम्मीद है। उत्तराखंड सरकार का यह कदम चारधाम यात्रा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़कर इसे और भी अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।






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