मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के एक छोटे से गांव जग्गाखेड़ी में गुरुवार की शाम एक बड़ा जनसैलाब उमड़ा। महिलाएं, पुरुष, बुज़ुर्ग – हर कोई एकजुट होकर गांव की उस शराब दुकान की ओर बढ़ चला, जो वर्षों से विवाद की जड़ बनी हुई थी। शांत दिखने वाले इस गांव की चुप्पी उस शाम टूट गई जब ग्रामीणों का सब्र जवाब दे गया। ठेके के सामने सैकड़ों की भीड़ जमा हुई और देखते ही देखते बोतलों की खनक गुस्से की आवाज़ में बदल गई। शराब की दुकान पर हमला हुआ, शराब की बोतलें सड़कों पर फेंकी गईं, कई वाहनों के शीशे चकनाचूर कर दिए गए। इस उग्र विरोध ने न केवल प्रशासन को चौंका दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या आम जनता की आवाज़ को बार-बार अनसुना करना अब प्रशासनिक शैली बन गई है?
जग्गाखेड़ी गांव के लोग लंबे समय से इस शराब दुकान को हटाने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों का कहना है कि ठेके के चलते गांव का माहौल बिगड़ रहा है, युवाओं पर इसका बुरा असर पड़ रहा है और महिलाओं को रोजाना शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है। कई बार जिला प्रशासन और पुलिस को ज्ञापन दिए गए, शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब जब वर्षों की उम्मीदें टूट गईं, तो आक्रोश ने उग्र रूप ले लिया। गुरुवार, 4 अप्रैल की देर शाम यह आक्रोश फूट पड़ा और भीड़ ने शराब ठेके पर धावा बोल दिया। यह सिर्फ एक दुकान पर हमला नहीं था, यह एक प्रतीक था उस व्यवस्था के खिलाफ जो आमजन की आवाज़ को सुनने में नाकाम रही।
इस घटना के बाद मंदसौर के सर्कल एसपी (CSP) सतनाम सिंह मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभाला। उन्होंने बताया कि घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित किया गया। तोड़फोड़ की घटना की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा, “शराब दुकान में तोड़फोड़ की गई है। पुलिस मुकदमा दर्ज कर रही है। CCTV फुटेज खंगाले जाएंगे और जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि जब तक लोगों ने खुद सड़कों पर उतरकर आवाज नहीं उठाई, तब तक प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। अब देखना होगा कि पुलिस की यह कार्रवाई केवल फॉर्मेलिटी बनकर रह जाएगी या वास्तव में दोषियों की पहचान कर, प्रशासन यह साबित करेगा कि जनता की आवाज़ का सम्मान किया जाएगा।