23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट में भारत का चंद्रयान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतर गया था। इसके साथ ही चांद के सबसे मुश्किल इलाके में लैंड करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया।Chandrayaan-3 की सफलता पर ISRO के सीनियर साइंटिस्ट तरुण सिंह बघेल के चर्चे शुरू हो गए है। चंद्रयान-3 मिशन में तरुण को पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी मिली थी।
साथियों का कहना है कि जो लैंडर चंद्रयान पर लगा है। उसमें कैमरा अटैच है, वह चंद्रमा की तस्वीरें खींच कर डाटा ISRO को भेज रहा है। इसकी पूरी निगरानी तरुण की देखरेख में हो रही है। चंद्रयान मिशन में MP के कुल 4 युवा शामिल है। जिसमे रीवा के गढ़ इटौरी के रहने वाले तरुण सिंह बघेल, बालाघाट के प्रोजेक्ट हेड महेंद्र ठाकरे, सतना के प्रोजेक्ट इंजीनियर ओम पाण्डेय, उमरिया के प्रियांशु मिश्रा शामिल है।
ऐसे साकार हुआ साइंटिस्ट बनने का सपना
तरुण सिंह बघेल के पिता का नाम दिलराज सिंह हैं। वह शिक्षा विभाग से रिटायर होकर गढ़ इटौरी गांव में रहते है। दिलराज सिंह की आठ संतानें है। जिसमे तरुण सातवें नंबर के है। पेशे से शिक्षक बड़े भाई विनोद सिंह ने तरुण की परवरिश की है। तरुण ने कक्षा एक से लेकर पांचवीं तक की पढ़ाई गांव से की। इसके बाद 6वीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई सैनिक स्कूल रीवा से की।
इंदौर SGSITS से किया बीटेक
इसके बाद इंदौर स्थित श्री गोविंदराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान (SGSITS) से बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की। इजीनियरिंग के बाद तरुण ISRO से जुड़ गए। वह वर्ष 2007 से इंजीनियर AT इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन जुड़ गए। 15 वर्ष पहले तिरुवंतपुरम स्थित इसरो में ज्वाइनिंग दी। हालांकि कई बार स्वास्थ्य खराब होने के चलते अहमदाबाद में अपना ट्रांसफर करा लिया था।
चार साल पहले जुड़े चंद्रयान-3 मिशन से
सीनियर साइंटिस्ट तरुण सिंह बघेल वर्ष 2019 से चंद्रयान-3 मिशन में कार्य कर रहे है। वह पेलोड क्वालिटी इंश्योरेंस की जिम्मेदारी में है। कहा जा रहा है कि जो लैंडर चंद्रयान पर गया है। उसमें फोटो खींचने वाला जो कैमरा अटैच है। वह चंद्रमा की नई नई तस्वीरें खींच कर डाटा भेजे रहा है। जिसको इसरो मुख्यालय पर स्टोर किया जा रहा है। तरुण की उपलब्धि से पिता व बड़े भाई ने खुशी जाहिर की है।