सुबह की नींद उस वक़्त दहशत में बदल गई जब दिल्ली के मुस्ताफाबाद के शक्ति विहार में एक चार मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई। एक पल में ज़मीन में समा गई ज़िंदगियाँ, और उठी चीखें उस मलबे से जिसे कभी किसी का घर कहा जाता था। यह कोई आम हादसा नहीं था – यह उस लापरवाही और भ्रष्टाचार की कहानी है, जो दिल्ली के कोनों में वर्षों से पल रही है। घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर सामने आया है – जिसे देख कर रूह काँप जाती है। धूल में सनी हुई वो इमारत नहीं गिरी, सरकार की संवेदनहीनता गिर गई, प्रशासन का भरोसा ढह गया और इंसानियत की बुनियाद हिल गई।
14 लोगों को निकाला गया – लेकिन उनमें से 6 ने दम तोड़ दिया। कुछ मासूम बच्चे, एक महिला और एक पुरुष – इनकी लाशें मलबे से बरामद की गईं। बाकी लोगों के जिंदा होने की उम्मीद अब मलबे के नीचे दबती जा रही है। राहत कार्यों में जुटी एनडीआरएफ, दिल्ली फायर सर्विस, पुलिस और डॉग स्क्वायड की टीमें लगातार खोज कर रही हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये रेस्क्यू टीम वक़्त पर पहुँच पाईं? और क्या इस हादसे को पहले से रोका नहीं जा सकता था? यह महज़ एक इमारत नहीं थी जो गिरी – यह एक गवाही है उस उदासीन व्यवस्था की, जो शिकायतें सुनती है पर सुनवाई नहीं करती।
स्थानीय विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इस घटना को लेकर सीधे दिल्ली सरकार और प्रशासन को घेरा है। उनका कहना है कि उन्होंने अवैध इमारतों का मुद्दा विधानसभा में कई बार उठाया था, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। “25 या 50 गज की इमारत में अगर सैकड़ों लोग रह रहे हैं, तो हादसा होना तय था,” उनका ये बयान उस सच्चाई को बयां करता है जिसे सभी जानते हैं, पर मानने को तैयार नहीं। अफ़सोस कि इन चेतावनियों पर सिर्फ़ भाषण हुए, कार्रवाई नहीं। मुख्यमंत्री, एलजी और पुलिस कमिश्नर को चिट्ठियां लिखी गईं – लेकिन नतीजा आज की यह मौतों के रूप में हमारे सामने है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घटना पर दुख जताया है और जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि “मन व्यथित है, दोषियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।” लेकिन दिल्ली की जनता अब केवल संवेदना नहीं, समाधान चाहती है। सरकार की एजेंसियाँ – डीडीएमए, एनडीआरएफ, डीएफएस – राहत में जुटी हैं, लेकिन असली सवाल ये है कि क्या ये राहत आने वाले हादसों को रोक पाएगी या फिर अगली इमारत गिरने तक इंतज़ार ही सरकार का ‘प्लान’ बना रहेगा?
मुस्ताफाबाद की ये त्रासदी दिल्ली के उस काले सच को सामने लाती है जिसे अब नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। अवैध निर्माणों की आड़ में पल रही भू-माफिया, भ्रष्ट इंजीनियरिंग और लचर व्यवस्था की यह कहानी देश के हर कोने में दोहराई जा रही है। ‘द खबर्दार न्यूज़’ यह सवाल उठाता है – क्या ये 6 जानें, जिनमें दो मासूम बच्चे भी हैं, सिर्फ़ आँकड़ों में बदल जाएँगी? या इन मौतों के बाद सरकार, निगम और प्रशासन की आँख खुलेगी? हमारा मक़सद केवल खबर दिखाना नहीं, जवाबदेही तय कराना है – क्योंकि जब तक व्यवस्था को जवाबदेह नहीं बनाया जाएगा, तब तक ऐसी इमारतें गिरती रहेंगी और ज़िंदगियाँ मलबे में दबी मिलती रहेंगी।






Total Users : 13156
Total views : 32004