इलाहाबाद HC ने फटकार लगाते हुए कहा कि यह समझ में नहीं आ रहा है कि फिल्म निर्माताओं के दिमाग में क्या हुआ कि उन्होंने ऐसी फिल्म बनाई, उनको सिर्फ पैसा कमाने से मतलब है, HC ने कहा जैसा धार्मिक चित्रण फ़िल्म में किया गया है क्या वैसा भगवान का स्वरूप किसी के भी दिमाग में है, इलाहाबाद HC ने सख्त लहजे में कहा कि हम साफ कर रहे है कि किसी एक धर्म को ना छेड़े, आप किसी धर्म के बारे में गलत तरीके से मत दिखाइए, कोर्ट का कोई धर्म नहीं होता है, ऐसी फिल्म को पास करना ब्लंडर है ,इसलिए हम कहते है कि किसी पवित्र ग्रंथ को मत छुइये, हम साफ कर रहे है कि किसी एक धर्म को ना छेड़े, आप किसी धर्म के बारे में गलत तरीके से मत दिखाइए, कोर्ट का कोई धर्म नहीं होता है, कोर्ट सभी का है, सिर्फ धर्म की बात नहीं, लोग रामचरितमानस को घरों से पढ़ कर निकलते है।