“क्या आपका सपना था बीपीएससी अफसर बनने का? क्या आप भी उस दोबारा परीक्षा की उम्मीद में थे, जिसे लेकर सोशल मीडिया से लेकर कोर्ट तक लड़ाई लड़ी जा रही थी? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए किसी बिजली गिरने से कम नहीं… क्योंकि पटना हाईकोर्ट ने 70वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है। एक झटके में हजारों अभ्यर्थियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। आइए जानते हैं इस हाई वोल्टेज फैसले के पीछे की पूरी कहानी…”
पटना हाईकोर्ट ने शुक्रवार, 28 मार्च 2025 को बहुप्रतीक्षित 70वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा पर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें अभ्यर्थियों ने परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाकर री-एग्जाम की मांग की थी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने साफ आदेश दिया कि अब मेंस परीक्षा कराई जाए, जिससे चयन प्रक्रिया में कोई और देरी न हो। बता दें कि यह फैसला अभ्यर्थियों के एक वर्ग के लिए बड़े झटके की तरह आया है, जो कोर्ट से प्रारंभिक परीक्षा रद्द होने की उम्मीद लगाए बैठे थे।
पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब 13 दिसंबर 2024 को हुई 70वीं BPSC प्रारंभिक परीक्षा के बाद कुछ अभ्यर्थियों ने पटना के बापू परीक्षा परिसर में गड़बड़ी के आरोप लगाए। इसके बाद आयोग ने सिर्फ उसी सेंटर पर 4 जनवरी 2025 को दोबारा परीक्षा कराई। लेकिन याचिकाकर्ता इससे संतुष्ट नहीं हुए और पूरे राज्य में दोबारा परीक्षा कराने की मांग के साथ हाईकोर्ट पहुंच गए। आयोग ने कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं के आरोप निराधार हैं और परीक्षा में किसी तरह की व्यापक गड़बड़ी नहीं हुई।
हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 19 मार्च 2025 को पूरी हुई थी। उस दिन कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद से अभ्यर्थियों की नजरें कोर्ट के फैसले पर टिकी थीं। शुक्रवार को जैसे ही फैसला आया, हजारों छात्रों की उम्मीदें टूट गईं। कोर्ट ने यह मानने से इनकार कर दिया कि परीक्षा प्रक्रिया में कोई बड़ी खामी थी। इसके साथ ही आयोग को निर्देश दे दिया गया कि वे मुख्य परीक्षा (Mains Exam) की तैयारी शुरू करें। आयोग पहले ही मेंस परीक्षा की संभावित तारीख 25 से 30 अप्रैल 2025 घोषित कर चुका है।
कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब आ गया। कई छात्रों ने इसे ‘अन्याय’ बताते हुए निराशा जताई। वहीं, शिक्षक गुरु रहमान ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है और इसकी अंतिम लड़ाई अब देश की सर्वोच्च अदालत में लड़ी जाएगी। अभ्यर्थी भी अब एक नई उम्मीद के साथ सुप्रीम कोर्ट की तरफ देख रहे हैं।
यह मामला सिर्फ परीक्षा रद्द होने या न होने का नहीं है, बल्कि उन हजारों युवाओं की आकांक्षाओं से जुड़ा है, जो सिस्टम की पारदर्शिता और न्याय की उम्मीद में अपनी नींदें और करियर दांव पर लगाकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट रहे हैं। पटना हाईकोर्ट के इस फैसले से बिहार लोक सेवा आयोग ने राहत की सांस ली है, लेकिन युवाओं का एक बड़ा वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रहा है। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं — क्या वहां से न्याय की एक नई किरण फूटेगी या यह मामला यहीं थम जाएगा?