सीबीआई ने भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में उत्तर रेलवे के तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें दो वरिष्ठ रेलवे अधिकारी और एक निजी वेंडर शामिल हैं। इन पर 7 लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप है। जांच एजेंसी ने जब इन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की तो वहां से 63.85 लाख रुपये नकद और करीब 3.46 करोड़ रुपये मूल्य के सोने के आभूषण बरामद किए। मामला तब खुला जब एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए रिश्वत ली जा रही थी।
सीबीआई ने आरोपियों के आवास और दफ्तरों पर कुल 9 जगहों पर छापेमारी की। इन तलाशी अभियानों में केवल नकदी और सोने के गहने ही नहीं मिले, बल्कि संपत्ति के दस्तावेज, मोबाइल, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और रिश्वत लेने से संबंधित अहम सबूत भी जब्त किए गए। खास बात यह रही कि एक आरोपी अधिकारी की पत्नी के लॉकर से भी 2.5 करोड़ रुपये से ज्यादा के सोने के गहने और छड़ें मिलीं।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में साकेत चंद श्रीवास्तव (वरिष्ठ डीईई), तपेंद्र सिंह गुर्जर (एसएसई), और गौतम चावला (निजी वेंडर) शामिल हैं। इनके अलावा अरुण जिंदल, साकेत कुमार और दो निजी कंपनियों – वत्सल इन्फोटेक प्राइवेट लिमिटेड (दिल्ली) और शिवमणि एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड (गाजियाबाद) – को भी आरोपी बनाया गया है। रेलवे महकमे में यह खबर आग की तरह फैल गई है और कई अधिकारी शक के घेरे में आ गए हैं।
सीबीआई की यह कार्रवाई एक सख्त संदेश है कि सरकारी महकमे में भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ऐसी छिटपुट कार्रवाइयों से व्यापक स्तर पर चल रहे घोटालों पर लगाम लग सकेगी? अब वक्त आ गया है जब सरकार को आंतरिक निगरानी प्रणाली को और मजबूत करना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं और जनता का विश्वास सिस्टम में बहाल हो सके।






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