मध्य प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को और लचीला और छात्र हितैषी बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब सीबीएसई (CBSE) की तर्ज पर मध्य प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (MPBSE) भी साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित करेगा। इस बदलाव के लिए सरकार ने 1965 के बोर्ड रेगुलेशन में संशोधन का प्रस्ताव दिया है। फिलहाल, सरकार ने इस ड्राफ्ट को 15 दिनों के लिए सार्वजनिक कर दिया है ताकि आम जनता, शिक्षक और अभिभावक इस पर अपने सुझाव और आपत्तियां दर्ज करा सकें। अंतिम फैसला लेने से पहले सरकार सभी प्रतिक्रियाओं का गहन अध्ययन करेगी ताकि छात्रों के हित में सही नीति बनाई जा सके।
राज्य सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार, हर साल हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी छात्रों के लिए दो परीक्षाएं होंगी। पहला और मुख्य परीक्षा फरवरी-मार्च में आयोजित होगी, जबकि दूसरा मौका जुलाई-अगस्त में मिलेगा। इसका सबसे बड़ा फायदा उन छात्रों को होगा, जो पहले प्रयास में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाते या किसी कारणवश परीक्षा से अनुपस्थित रहते हैं। जो छात्र पहले एग्जाम में कम अंक प्राप्त करेंगे या असफल होंगे, उन्हें दूसरा मौका मिलेगा जिससे वे अपने परिणाम में सुधार कर सकेंगे। खास बात यह है कि जो छात्र दूसरे एग्जाम के लिए उपस्थित होंगे, उन्हें रिजल्ट आने तक प्रोविजनल रूप से अगली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो।
यह फैसला देशभर में परीक्षा संबंधी सुधारों की दिशा में उठाए जा रहे बड़े कदमों में से एक माना जा रहा है। हाल ही में CBSE बोर्ड ने भी 2026 से साल में दो बार परीक्षाएं कराने की घोषणा की थी ताकि छात्रों के मानसिक तनाव को कम किया जा सके। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस बदलाव का समर्थन करते हुए कहा कि JEE जैसी प्रवेश परीक्षाओं की तरह बोर्ड परीक्षाओं को भी दो बार आयोजित करने से छात्रों को आत्मविश्वास मिलेगा। पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन न करने वाले छात्र दूसरी परीक्षा में अपना स्कोर सुधार सकते हैं। ऐसे में, मध्य प्रदेश सरकार की यह पहल छात्रों के शैक्षणिक भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकती है।