Tuesday, April 22, 2025

MP News: “MP में बड़ा प्रशासनिक बवंडर: एक साथ 9 IAS अफसरों का ट्रांसफर, 4 जिलों के कलेक्टर बदले!”

“सोचिए अगर एक ही रात में आपके जिले का पूरा प्रशासन बदल जाए… फैसले लेने वाले नए हों, प्राथमिकताएं नई हों और अंदाज़ भी बदला हुआ हो… तो क्या बदलेगा आपका जिला?

मध्य प्रदेश में कुछ ऐसा ही हुआ है, जहां 9 IAS अफसरों की अदला-बदली ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस फेरबदल की आहट सिर्फ़ अफसरों तक ही सीमित नहीं, बल्कि हर आम नागरिक के जीवन पर भी इसका असर पड़ेगा। तो आइए, जानते हैं कि कौन-कहां से गया और अब किसके हाथ में होगी आपके जिले की बागडोर।”

मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने एक बार फिर से प्रशासनिक मोर्चे पर बड़ा कदम उठाया है। प्रदेश के चार प्रमुख जिलों – अशोकनगर, हरदा, उज्जैन और विदिशा – के कलेक्टरों को बदल दिया गया है। इस कदम के तहत हरदा के पूर्व कलेक्टर आदित्य सिंह को अशोकनगर भेजा गया है, जबकि भोपाल के अपर कलेक्टर सिद्धार्थ जैन को हरदा का नया कलेक्टर नियुक्त किया गया है।
वहीं, उज्जैन की कमान अब रोशन कुमार सिंह के हाथ में होगी, जिन्हें पहले विदिशा का कलेक्टर नियुक्त किया गया था। उनके स्थान पर जनसंपर्क विभाग के संचालक और मध्य प्रदेश माध्यम के कार्यपालक निदेशक अंशुल गुप्ता को विदिशा भेजा गया है। इन बदलावों के ज़रिए सरकार ने संकेत दे दिया है कि प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर सख्त रवैया अपनाया जाएगा।

इस तबादले में सिर्फ़ कलेक्टरों की अदला-बदली नहीं हुई है, बल्कि कई आईएएस अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ भी सौंपी गई हैं। इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह को सिंहस्थ मेला उज्जैन का मेला अधिकारी बनाया गया है, जबकि गुलशन बामरा, जो कि जनजातीय कार्य विभाग में प्रमुख सचिव हैं, को अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन और नीति विश्लेषण संस्थान भोपाल का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
वहीं, राज्य योजना आयोग के सदस्य सचिव ऋषि गर्ग को अब आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग भोपाल का भी प्रभार मिल गया है। ऐसे अतिरिक्त जिम्मेदारियाँ अधिकारियों के प्रशासनिक कौशल पर भरोसे का प्रतीक हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि क्या एक साथ दो जिम्मेदारियाँ निभा पाना संभव होगा?

फेरबदल की इस श्रृंखला में राज्य प्रशासनिक सेवा (RAS) के अधिकारी भी प्रभावित हुए हैं। राजेश कुमार गुप्ता को अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन नीति संस्थान के संचालक पद से हटाकर संस्कृति विभाग में उप सचिव बनाया गया है।
इसी प्रकार, शिवांगी जोशी को जबलपुर से हटाकर भोपाल स्थित एमपी स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलेपमेंट कॉर्पोरेशन का महाप्रबंधक नियुक्त किया गया है। ये फेरबदल एक ओर जहां प्रशासनिक लचीलापन दिखाते हैं, वहीं दूसरी ओर इनसे यह सवाल भी उठता है कि क्या यह बदलाव सुशासन की दिशा में सार्थक कदम साबित होंगे?

इन ट्रांसफर में केवल पदों का परिवर्तन नहीं हुआ है, बल्कि यह सरकार की उस रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है जिसमें प्रत्येक जिले के प्रशासन को ‘परफॉर्मेंस बेस्ड’ रूप से आँका जा रहा है। सूत्रों की मानें तो आने वाले महीनों में और भी अफसरों की जिम्मेदारियों पर पुनर्विचार किया जा सकता है।
राज्य में लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में ज़िला कलेक्टरों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है – प्रशासनिक निष्पक्षता, विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और जन आकांक्षाओं की पूर्ति जैसे विषय इन पदों से सीधे तौर पर जुड़े हैं।

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