सुबह के करीब 7 बज रहे थे… जयपुर के प्रतिष्ठित सिविल लाइन्स इलाके में एकदम से हलचल तेज़ हो गई। आम दिनों की तरह शांत रहने वाला यह वीआईपी इलाका, अचानक सायरनों की आवाज़ और भारी सुरक्षा दस्ते की मौजूदगी से थर्रा उठा। लोग समझ नहीं पाए कि आखिर क्या हुआ। लेकिन कुछ ही मिनटों में सच सामने था — कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के घर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी शुरू कर दी थी। यह छापा सिर्फ एक राजनीतिक शख्सियत के घर तक सीमित नहीं था, बल्कि यह एक 50,000 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले से जुड़े सवालों की तह में जाने की कोशिश का हिस्सा था।
सूत्रों के अनुसार, प्रताप सिंह खाचरियावास का नाम एक बहुचर्चित चिटफंड घोटाले में सामने आया है, जो देश के कई राज्यों में फैला हुआ है और लाखों निवेशकों की गाढ़ी कमाई को लील चुका है। यह घोटाला करीब 50,000 करोड़ रुपये के निवेश से जुड़ा हुआ है, जिसमें प्रताप सिंह की कथित संलिप्तता की जांच जारी है। ईडी की इस कार्रवाई को आय से अधिक संपत्ति और धोखाधड़ी से अर्जित संपत्ति के संचालन से जोड़कर देखा जा रहा है। यह वही मामला है जिसमें ईडी ने उन्हें पहले भी समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन पूछताछ अधूरी रह गई थी।
प्रताप सिंह खाचरियावास सिर्फ एक पूर्व मंत्री नहीं, बल्कि राजस्थान कांग्रेस का एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं। वे अशोक गहलोत सरकार में खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रह चुके हैं। अपनी तेज-तर्रार छवि और खुलकर बोलने की शैली के लिए जाने जाते हैं। कांग्रेस के लिए यह छापेमारी एक और राजनीतिक झटका है, खासकर उस समय जब पार्टी राज्य में दोबारा सशक्त वापसी की रणनीति पर काम कर रही है। राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि क्या इस कार्रवाई का समय और तरीका आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए राजनीतिक मकसद से प्रेरित है?
हालांकि ईडी की इस कार्रवाई को कानून और जांच प्रक्रिया का हिस्सा बताया जा रहा है, लेकिन सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या केंद्रीय एजेंसियां केवल विपक्षी नेताओं को ही निशाना बना रही हैं? क्या यह सत्ता के इशारे पर चल रही जांच है या वास्तव में भ्रष्टाचार पर प्रहार करने की मंशा? The Khabardar News मानता है कि हर जांच निष्पक्ष होनी चाहिए और यदि किसी नेता ने ग़लत किया है तो उसे दंड मिलना ही चाहिए, चाहे वो सत्ता पक्ष से हो या विपक्ष से। लेकिन अगर यह कार्रवाई राजनीति से प्रेरित निकली, तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने वाली बात होगी।






Total Users : 13152
Total views : 31999