मध्य प्रदेश सरकार ने राज्यभर में फैली शत्रु संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लेने की प्रक्रिया तेज कर दी है। भोपाल सहित 13 जिलों में मौजूद 100 से ज्यादा शत्रु संपत्तियों पर अवैध कब्जों को हटाने और सरकारी उपयोग के लिए संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है। विधानसभा में विधायक चंदरसिंह सिसौदिया के सवाल के लिखित जवाब में राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा ने इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई शत्रु संपत्तियां वर्तमान में राज्य और केंद्र सरकार के अधीन हैं, जबकि कुछ पर स्थानीय लोगों ने अवैध कब्जा जमा रखा है। अब सरकार इन संपत्तियों को राजस्व रिकॉर्ड में अलग से दर्ज कर संरक्षित करने और उनके व्यावसायिक उपयोग की योजना बना रही है।
राजस्व विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी कर शत्रु संपत्तियों की विशेष सूची तैयार करने और उन पर सरकारी नियंत्रण स्थापित करने के आदेश दिए हैं। सरकार का उद्देश्य इन संपत्तियों को पुनः संरक्षित कर व्यावसायिक, औद्योगिक और सार्वजनिक विकास परियोजनाओं के लिए उपयोग करना है। इसके तहत कुछ संपत्तियों को नीलामी के माध्यम से निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा, जबकि अन्य को औद्योगिक विकास परियोजनाओं के लिए रखा जाएगा। जिन संपत्तियों पर लंबे समय से अवैध कब्जा है, वहां पहले सीमांकन कराया जाएगा और फिर उन्हें सरकार के अधीन किया जाएगा।
प्रदेश के जिन 13 जिलों में शत्रु संपत्तियां चिह्नित की गई हैं, उनमें भोपाल, हरदा, बैतूल, मंडला, डिंडोरी, सिवनी, कटनी, जबलपुर, सीहोर, सतना, रतलाम, धार और खंडवा शामिल हैं। इन जिलों में कई संपत्तियां शहरी क्षेत्रों में आ चुकी हैं, जिससे उनकी कीमत में काफी वृद्धि हुई है। सरकार अब इन संपत्तियों का व्यावसायिक उपयोग करने की रणनीति बना रही है, जिसमें मल्टीस्टोरी भवन, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स और औद्योगिक क्षेत्रों का विकास शामिल है। खासकर हरदा और खंडवा जैसे जिलों में कई शत्रु संपत्तियों पर किसानों ने कब्जा कर रखा है, जिन्हें हटाकर सरकार इन संपत्तियों का पुनः उपयोग करेगी।
शत्रु संपत्ति क्या होती है?
शत्रु संपत्ति उन लोगों की होती है, जिन्होंने युद्ध या राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भारत छोड़कर किसी दुश्मन देश की नागरिकता ले ली थी। ऐसे लोगों की भारत में छोड़ी गई जमीन, हवेलियां और अन्य संपत्तियां सरकार के नियंत्रण में आ जाती हैं। अब तक भारत सरकार ने करीब 9,400 शत्रु संपत्तियों की पहचान की है, जिनमें से कई मध्य प्रदेश में स्थित हैं। इन संपत्तियों पर अवैध कब्जों को हटाने और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है।
सरकार का मानना है कि इन संपत्तियों का समुचित उपयोग राज्य की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करेगा। कुछ संपत्तियों को निजी कंपनियों को लीज पर देकर सरकार राजस्व बढ़ाने पर विचार कर रही है, जबकि अन्य को सरकारी योजनाओं के तहत उपयोग में लाने की योजना बनाई जा रही है। इसी क्रम में, सरकार ने सभी जिला प्रशासन को शत्रु संपत्तियों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं, ताकि उनके सही उपयोग की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।