मनोज संतोषी – एक ऐसा नाम, जिसने लाखों दर्शकों को अपनी कलम की ताकत से हंसाया, लेकिन अब उनकी वही कलम हमेशा के लिए खामोश हो गई। लोकप्रिय धारावाहिक ‘भाबी जी घर पर हैं’, ‘हप्पू की उलटन-पलटन’, ‘जीजा जी छत पर हैं’ और ‘मैडम मैं आय कम इन’ जैसे सुपरहिट शोज़ के लेखक मनोज संतोषी का 23 मार्च की शाम हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। बताया जा रहा है कि वे लंबे समय से लिवर संबंधी बीमारी से जूझ रहे थे। उनका पार्थिव शरीर देर रात अलीगढ़ से होकर उनके पैतृक गांव रामघाट (बुलंदशहर) ले जाया जाएगा। यह वही अलीगढ़ है, जिससे उनका गहरा लगाव था। जहां उन्होंने अपने दोस्तों संग ठेले पर खड़े होकर गरमा-गरम कचौड़ी और जलेबी का आनंद लिया था, जहां उन्होंने कलाकारों को मंच दिया था, और जहां हर दौरे पर उन्हें लोगों का अपार प्रेम मिला था।
1976 में गंगा किनारे बसे रामघाट (बुलंदशहर) में जन्मे मनोज संतोषी की शुरुआती पढ़ाई जरगवां स्थित इंटर कॉलेज में हुई थी। उनका सपना था गायक बनने का, और इसी सपने को लेकर वे मायानगरी मुंबई गए। लेकिन वहां एक लेखक से मुलाकात के बाद उनका जीवन बदल गया। उन्होंने गायक बनने का इरादा छोड़ा और कलम को अपना हथियार बना लिया। उनका रिश्ता अलीगढ़ से हमेशा बना रहा। यहां के लोगों ने न केवल उनकी कहानियों में जगह पाई, बल्कि उन्होंने स्थानीय कलाकारों को अपने धारावाहिकों में काम करने का भी अवसर दिया। उन्होंने अलीगढ़ के सुमित सराफ और संजय माहेश्वरी को अपने शो ‘भाबी जी घर पर हैं’ में अभिनय का मौका दिया। दो साल पहले, जब वे 10 मार्च 2023 को अलीगढ़ आए थे, तब उन्होंने रेलवे रोड स्थित सुरेश कचौड़ी वाले के ठेले पर खड़े होकर कचौड़ी का स्वाद लिया था। वहां मौजूद लोगों ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और उनके साथ तस्वीरें भी खिंचवाईं।
मनोज संतोषी सिर्फ मनोरंजन की दुनिया तक सीमित नहीं थे, बल्कि खेलों से भी उनका गहरा लगाव था। 18 फरवरी 2022 को जब वे अलीगढ़ आए थे, तब उन्होंने वार्ष्णेय महाविद्यालय के क्रीड़ा हॉल में प्रो कबड्डी लीग के लोगो का अनावरण किया था। उनका मानना था कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और मानवीय मूल्यों को संजोने का माध्यम भी है। उन्होंने कहा था कि जब खेल निस्वार्थ सेवा भाव से आयोजित किए जाते हैं, तो वे समाज में प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने का काम करते हैं। उनका यह विचार सरकार के ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ अभियान को भी मजबूती प्रदान करता था।
मनोज संतोषी ने अपने जीवन में हंसी के अनगिनत रंग भरे, लेकिन अब वे खुद एक गहरी उदासी छोड़कर चले गए। उनके निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर है। अलीगढ़ के उनके खास मित्र संजय माहेश्वरी ने बताया कि उनका पार्थिव शरीर हैदराबाद से बुलंदशहर के रामघाट ले जाया जाएगा और आज रात अलीगढ़ से होकर गुजरेगा। मनोज संतोषी कई बार अलीगढ़ आए थे, लेकिन यह उनकी अंतिम यात्रा होगी। हंसी और खुशी को शब्दों में ढालने वाले इस लेखक की विदाई ने उनके चाहने वालों की आंखों में आंसू भर दिए हैं। अब वे नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती रहेंगी।