इंदौर की महालक्ष्मी नगर कॉलोनी में 21 मार्च की रात एक दर्दनाक घटना घटी, जिसकी पटकथा शराब, धोखे और झूठे रिश्तों के जाल में बुनी गई थी। एक फ्लैट की चारदीवारी के अंदर चली एक गोली ने न सिर्फ भावना सिंह की जिंदगी खत्म कर दी, बल्कि कई राज भी उजागर कर दिए। पुलिस ने इस हत्याकांड के आरोपियों को पकड़ने के लिए 1000 किलोमीटर तक पीछा किया। पर सवाल ये है कि एक मामूली पंजाबी गाने की आवाज इतनी जानलेवा कैसे बन गई?
ग्वालियर की रहने वाली भावना सिंह, इंदौर के एक फ्लैट में अपने दोस्तों के साथ जश्न मना रही थी। उसके साथ मौजूद थे उसके पुराने दोस्त मुकुल यादव, आशु यादव, स्वास्तिका और कुछ अन्य साथी। माहौल में मस्ती और शराब का नशा चढ़ा हुआ था। रात बढ़ते-बढ़ते पंजाबी गानों की धुन भी तेज होती गई। लेकिन जब भावना ने मुकुल से म्यूजिक की आवाज कम करने को कहा, तो एक छोटा-सा विवाद इतना बढ़ा कि मुकुल ने देसी कट्टे से भावना पर गोली चला दी। यह झगड़ा अचानक नहीं हुआ था, इसके पीछे एक कहानी थी — लालच, झूठे रिश्ते और छुपे हुए राज की।
हत्या के बाद आरोपी फरार हो गए। पुलिस को खबर मिली कि वे भोपाल से थार जीप में भागे हैं। इंदौर पुलिस ने ऑपरेशन लॉन्च किया और 1000 किलोमीटर तक इनका पीछा किया। पुलिस के लिए यह चुनौती इसलिए भी बड़ी थी क्योंकि आरोपी न तो मोबाइल इस्तेमाल कर रहे थे, न ही किसी एटीएम से पैसे निकाल रहे थे। उनकी गिरफ्तारी एक साइबर वॉर से कम नहीं थी। लेकिन आखिरकार पुलिस के हाथ इन पर पड़ ही गए। आरोपियों के पास से पुलिस ने 34 मोबाइल, 24 एटीएम कार्ड, सट्टे के हिसाब-किताब और बीस हजार रुपए नकद जब्त किए।
इस हत्याकांड की तह में जाते हुए पुलिस ने एक और चौंकाने वाली सच्चाई उजागर की। आशु यादव और मुकुल यादव पर ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा खिलाने का मामला पहले से दर्ज था। पूछताछ में आशु ने कबूल किया कि वे फर्जी बैंक अकाउंट, सिम कार्ड और कई मोबाइल नंबर के जरिए लोगों को बड़े मुनाफे का लालच देकर ऑनलाइन सट्टा कराते थे। भावना सिंह का नाम भी इस गिरोह से जुड़ा था। भावना अपने परिवार से अलग होकर क्लाउड किचन चलाती थी। माता-पिता की मौत के बाद वह पहले अपने पति से अलग हुई, फिर कई रिश्तों के उतार-चढ़ाव के बाद इंदौर पहुंची थी।
हत्या वाली रात, जब भावना का बॉयफ्रेंड काम से उज्जैन गया था, तो स्वास्तिका — जो भावना की पुरानी दोस्त थी — उसे अपने घर ले आई। दोस्तों ने सोचा, क्यों न एक शराब पार्टी हो जाए। 20-21 मार्च की रात, शराब के नशे में सब झूम रहे थे, गानों की आवाज आसमान छू रही थी। तभी मुकुल ने पंजाबी गाना तेज कर दिया। भावना ने विरोध किया, बहस हुई, और उसी झगड़े के दौरान मुकुल ने कट्टा निकालकर भावना के सीने में गोली उतार दी। कुछ सूत्रों के मुताबिक, मुकुल ने भावना पर जबरदस्ती करने की कोशिश भी की थी, विरोध करने पर उसने गोली चलाई।
इस पूरी कहानी में एक और किरदार था — स्वास्तिका। पुलिस जांच में पता चला कि स्वास्तिका और आशु बचपन से दोस्त थे और साथ रहते थे। परिवार को बताया गया था कि वे अलग-अलग कमरों में रहते हैं, लेकिन असल में उनके बीच नजदीकियां थीं। स्वास्तिका की मां सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं और परिवार के अन्य सदस्य साधारण जीवन जीते हैं। मगर इस पूरी वारदात के बाद स्वास्तिका ने परिवार से कोई संपर्क नहीं किया, जो कई सवाल खड़े करता है। पुलिस के मुताबिक, परिवार ने भी जांच के दौरान स्वास्तिका की तलाश में मदद की।
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि आशु और मुकुल सगे भाई हैं। इनके पिता की हत्या इनके ही चाचा ने पारिवारिक रंजिश में कर दी थी। इसके बाद मां दतिया में रहने लगी और दोनों भाइयों को इंदौर भेज दिया गया। यहीं से इनके अपराध की दुनिया में कदम पड़े। पुलिस की छापेमारी में इनके घर से 28 मोबाइल, 4 लैपटॉप, 50 एटीएम कार्ड, 30 पासबुक और सट्टे के काले कारोबार से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए। अब पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि ऑनलाइन सट्टे के इस नेटवर्क के पीछे कौन-कौन शामिल है और भावना सिंह की मौत के पीछे सिर्फ झगड़ा था या कोई गहरी साजिश?