महाकुंभ, जहां आध्यात्मिकता और साधु संतों का मिलन होता है, इस बार एक विशेष बाबा की चर्चा हो रही है। यह बाबा एक कार वाले बाबा के नाम से मशहूर हैं, जिनकी 50 साल पुरानी कार के बारे में हर कोई जानना चाहता है। उनके भक्तों ने लगभग 35 साल पहले यह कार उन्हें भेंट दी थी, और आज भी यह बाबा उसी कार में रहते हैं, जिसे वह अपना घर और मंदिर मानते हैं। इस कार में त्रिशूल, घंटियां, फूल माला और लाउडस्पीकर जैसी आध्यात्मिक वस्तुएं लगी हुई हैं, और गाड़ी के अंदर भगवान की स्थापना भी की गई है। बाबा इस कार को अपनी मां की तरह मानते हैं और इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं।
गाड़ी के अंदर एक बेड भी रखा गया है, जहां बाबा रात को सोते हैं। साथ ही, गाड़ी के ऊपर पंखा भी लगा है, जो गर्मी में राहत देता है। इस कार का जिक्र करते हुए बाबा ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि यह गाड़ी उन्हें 35 साल पहले एक भक्त ने दी थी। उस समय से लेकर अब तक, वह इस गाड़ी से पूरे भारत और नेपाल के विभिन्न धार्मिक स्थानों पर यात्रा कर चुके हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगासागर, बंगाल, असम, कामाख्या देवी, कन्याकुमारी, रामेश्वरम और ओडीशा जैसी पवित्र जगहों पर वे अपनी यात्रा पूरी कर चुके हैं।
महाकुंभ के इस विशेष अवसर पर बाबा ने सभी को प्रेम और शांति का संदेश दिया। उन्होंने कहा, “गंगा मैया में स्नान करें, संतों का आशीर्वाद लें, और जीवन में सुख और शांति बनाए रखें।” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि परिवार में अगर प्यार और समझ बनी रहे, तो जीवन में कोई भी कठिनाई नहीं आएगी। इस महाकुंभ के 144 साल के संयोग पर उनका संदेश था, “जैसे प्रयाग का मतलब होता है विस्तृत स्थान, वैसे ही घर परिवार में भी अगर प्रेम और समझ का विस्तार हो, तो सब कुछ ठीक रहेगा।”