Thursday, March 20, 2025

Atrocity Act : न्याय का हथियार या निर्दोषों के लिए फंसाने का जाल?

सिंगरौली जिले के बरगवां थाना क्षेत्र के जोबगढ़ निवासी शैलेंद्र द्विवेदी एट्रोसिटी एक्ट के तहत दर्ज एक मामले में फंस गए हैं। उनका दावा है कि उनके खिलाफ झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इस मामले ने एक बार फिर एट्रोसिटी एक्ट के कथित दुरुपयोग के मुद्दे को उजागर कर दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या यह कानून सच में न्याय दिलाने का माध्यम बन रहा है, या इसका गलत इस्तेमाल निर्दोषों को फंसाने के लिए किया जा रहा है?

झूठे आरोपों का दावा
शैलेंद्र द्विवेदी के अनुसार, 11 मार्च 2025 की शाम 7 बजे उनके खिलाफ मारपीट की झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई, जबकि उसी दिन वे अपने स्कॉर्पियो वाहन की सर्विसिंग कराने के लिए नौगई स्थित भगवती महिंद्रा एजेंसी गए थे और रात 9 बजे बरगवां लौटे थे। उनका कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज शिकायत पूरी तरह से झूठी और सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य उन्हें बदनाम करना और मानसिक प्रताड़ना देना है।

सीसीटीवी और लोकेशन से होगा सच उजागर?
शैलेंद्र द्विवेदी ने प्रशासन से मांग की है कि उनके बताए गए स्थानों की सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन की जांच कराई जाए, जिससे उनकी निर्दोषता साबित हो सके। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इससे पहले भी शिकायतकर्ता दो अन्य लोगों के खिलाफ झूठी शिकायतें दर्ज कर चुका है और पैसे लेकर समझौता कर लिया था। ऐसे में यह मामला एक बार फिर एट्रोसिटी एक्ट के कथित दुरुपयोग की ओर इशारा कर रहा है।

निष्पक्ष जांच की मांग
शैलेंद्र द्विवेदी ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए कहा कि बिना पुलिस अधीक्षक की जानकारी के एट्रोसिटी एक्ट के तहत किसी भी व्यक्ति पर मामला दर्ज न किया जाए। उनका कहना है कि इस कानून का गलत इस्तेमाल समाज में वर्ग संघर्ष को जन्म दे सकता है और कानून-व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपील की है कि इस तरह के मामलों की निगरानी के लिए डीजीपी को निर्देशित करें, ताकि झूठे मामलों को रोका जा सके।

पुलिस प्रशासन की भूमिका पर सवाल
शिकायतकर्ता के अनुसार, जब उन्हें पता चला कि उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है, तो वे थाने पहुंचे, जहां उनसे कुछ दस्तावेजों पर जबरन हस्ताक्षर करवा लिए गए। बाद में पुलिस ने उन्हें बताया कि उनके द्वारा भी मारपीट की शिकायत की गई है, जबकि उन्होंने ऐसा कोई आवेदन नहीं दिया था। इस तरह की घटनाओं से पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्या एट्रोसिटी एक्ट के दुरुपयोग पर होगी सख्ती?
यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि समाज के एक बड़े तबके से जुड़ा सवाल है। अगर इस कानून का दुरुपयोग जारी रहा, तो भविष्य में कई निर्दोष लोग इसके शिकार बन सकते हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि ऐसे मामलों की निष्पक्ष जांच कराए और झूठी शिकायतें दर्ज कराने वालों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करे। वरना आने वाले समय में यह कानून न्याय देने के बजाय शोषण का माध्यम बन सकता है।

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