दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उनका कार्यकाल महज साढ़े चार महीने का रहा। आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री थीं, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में यह जिम्मेदारी संभाली थी। दिल्ली में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सत्ता में वापसी हुई है, जिसने बहुमत का आंकड़ा पार कर सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस बार के चुनाव में AAP को 70 में से सिर्फ 22 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी ने 48 सीटों पर कब्जा जमाकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
शनिवार, 8 फरवरी को हुई मतगणना में बीजेपी ने निर्णायक बढ़त हासिल की, जिसके बाद उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सातवीं विधानसभा को भंग कर दिया। अब बीजेपी सरकार बनाने की प्रक्रिया में जुट गई है और जल्द ही विधायक दल की बैठक बुलाकर मुख्यमंत्री पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया जाएगा। आतिशी से पहले दिल्ली में सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित भी मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल बेहद छोटा रहा।
इस चुनाव में कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा है। आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सतेंद्र जैन जैसे नामचीन नेता अपनी सीटें नहीं बचा सके। हालांकि, AAP के तीन मंत्री – गोपाल राय, मुकेश अहलावत और इमरान हुसैन ने अपनी-अपनी सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस इस चुनाव में एक बार फिर अपना खाता तक नहीं खोल पाई, जिससे दिल्ली में उसकी स्थिति और कमजोर हो गई है। 2015 और 2020 में प्रचंड बहुमत से जीतने वाली आम आदमी पार्टी के लिए यह चुनाव एक बड़ा झटका साबित हुआ है। अब सवाल यह है कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार किन नीतियों के साथ आगे बढ़ेगी और क्या AAP इस हार के बाद फिर से मजबूती से खड़ी हो पाएगी?






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