ये दृश्य किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की सत्ता के गलियारों से आई एक असली घटना है। वायरल हो रहे इस वीडियो में, राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल एक सार्वजनिक कार्यक्रम में अपशब्दों का इस्तेमाल करते नजर आ रहे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर एक मंत्री को ऐसा बर्ताव क्यों करना पड़ा? वीडियो के जिस हिस्से ने सबका ध्यान खींचा है, उसमें मंत्री गिरिराज शर्मा नाम के एक सीईओ को जमकर फटकारते और अपशब्द कहने की स्थिति में दिखते हैं। इस पूरे घटनाक्रम की जड़ें एक ही दिन आयोजित दो बड़े राजनीतिक कार्यक्रमों में छिपी हैं – एक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का और दूसरा स्वयं प्रहलाद सिंह पटेल का।
घटना 10 अप्रैल की है, जब शिवपुरी जिले के बदरवास में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का एक कार्यक्रम आयोजित था, जिसमें जिले के सभी वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। उसी दिन देवपुरा में कैबिनेट मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल का भी एक कार्यक्रम चल रहा था। उनके कार्यक्रम में जिला पंचायत की सीईओ नेहा यादव और जनपद पंचायत पोहरी के सीईओ गिरिराज शर्मा पहुंचे। इसी कार्यक्रम के दौरान, जब गिरिराज शर्मा ने मंत्री को वृक्षारोपण के लिए आमंत्रित किया, तो मंत्री का गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने गर्मी के मौसम में वृक्षारोपण की गाइडलाइन का हवाला देते हुए शर्मा को जमकर खरी-खोटी सुनाई। इस पूरे घटनाक्रम के कुछ ही समय बाद गिरिराज शर्मा का निलंबन हो गया, यह कहते हुए कि उन्होंने विभागीय गाइडलाइन का पालन नहीं किया।
मंत्री के गालीभरे वीडियो के वायरल होने के बाद, राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने इस मौके को भांपते हुए तीखा प्रहार किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह वही नेता हैं जिन्होंने कभी जनता को “भिखारी” कहा था, अब “नौटंकीबाज़” कह रहे हैं। पटवारी ने यह भी जोड़ा कि मंत्री ने कभी माफी नहीं मांगी, और शायद अब भी नहीं मांगेंगे। इस बयानबाज़ी के जवाब में मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी पीछे नहीं हटे। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए पटवारी पर तंज कसा – “आपके बोलने से फूल झड़ते हैं… आपका व्यवसायिक रंज मैं समझ सकता हूं।”
स्थानीय लोगों के अनुसार, मंत्री कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही नाराज़ थे। कार्यक्रम में किसी बड़े अधिकारी की अनुपस्थिति ने उनके गुस्से को और भड़का दिया। वहीं, यह भी कहा जा रहा है कि गिरिराज शर्मा के खिलाफ कुछ स्थानीय नेताओं ने पहले से मंत्री से शिकायत कर रखी थी, क्योंकि वे पोहरी और शिवपुरी दोनों जनपद पंचायतों में सीईओ का काम संभाल रहे थे और पोहरी में कम समय दे रहे थे। यह सिर्फ एक वृक्षारोपण विवाद नहीं, बल्कि सत्ता के केंद्र और प्रशासन के बीच बिगड़ते संबंधों का संकेत भी है। सवाल है – क्या अधिकारी ने गलती की थी या मंत्री का अहंकार बोल रहा था?





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