क्या महज 500 रुपये से आप कोई ऐसी चीज बना सकते हैं, जो शादी-ब्याह, स्कूल फंक्शन, गली-मोहल्ले के कार्यक्रमों से लेकर किसी गांव की सभा तक, सबमें काम आ सके?
सोचिए… जब शहरों में हजारों रुपये खर्च कर साउंड सिस्टम किराए पर लिए जाते हैं, तब एक ऐसा युवा सामने आता है जिसने अपनी मेहनत, अपने हुनर और अपने सपने के दम पर बना डाला एक ऐसा डिवाइस जो न केवल आवाज़ बढ़ाता है, बल्कि बजट को भी बचाता है।
यह कहानी है जुनून की, जज्बे की, और उस भरोसे की कि अगर इरादे बुलंद हों, तो कोई भी सपना दूर नहीं। और इस सपने को सच किया है उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले के रहने वाले सचिन कुमार ने।
सचिन कुमार—जायस नगर पालिका, तिलोई तहसील के एक सामान्य परिवार से आने वाला छात्र। पिता मजदूरी करते हैं और बेटे ने मेहनत से पढ़ाई पूरी की। B.Sc के बाद जब कई लोग सिर्फ सरकारी नौकरी के फॉर्म भर रहे होते हैं, तब सचिन ने चुना एक अलग रास्ता—ITआई का।
इसी ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने बनाया मात्र 500 रुपये में ऑडियो एम्प्लीफायर—एक ऐसा उपकरण जो लो फ्रीक्वेंसी को हाई फ्रीक्वेंसी में बदलता है, यानी कम आवाज को बढ़ाकर दूर तक पहुंचाता है। इससे किसी भी फंक्शन में महंगे साउंड सिस्टम की जरूरत नहीं पड़ती।
इस ऑडियो एम्प्लीफायर को खासतौर पर छोटे-बड़े आयोजनों के लिए डिजाइन किया गया है। स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम हों या गांव की चौपाल, शादी समारोह हों या जागरण—हर जगह इस डिवाइस का उपयोग संभव है।
सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें किसी महंगे उपकरण की जरूरत नहीं है और इसे स्थानीय स्तर पर कम संसाधनों में तैयार किया जा सकता है। सचिन का कहना है कि इससे गांवों में होने वाले आयोजनों में हजारों रुपये की बचत हो सकती है, क्योंकि अब आवाज़ को फैलाने के लिए भारी भरकम साउंड सिस्टम की अनिवार्यता नहीं रही।
सचिन का कहना है कि उनके पिता ने मजदूरी करके उन्हें पढ़ाया-लिखाया। वह खुद इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर बनना चाहते हैं और इस दिशा में निरंतर प्रयोग कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट उनका पहला नहीं है—उन्होंने पहले भी कई उपयोगी प्रोजेक्ट तैयार किए हैं जो स्थानीय स्तर पर उपयोग में लाए जा सकते हैं।
उनका सपना है कि आने वाले समय में वे ऐसे इनोवेशन करें जो गांवों की ज़रूरतों के हिसाब से बने हों, सस्ते हों और आत्मनिर्भर भारत के सपने को आगे बढ़ाएं।






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