बुंदेलखंड के टीकमगढ़ में नवरात्र के मौके पर दिखी अनोखी भक्ति, लक्ष्मण लोधी ने निभाया कठिनतम व्रत
बंद आंखों से कल्पना कीजिए… एक व्यक्ति लगातार 9 दिन तक न अन्न खाए, न जल पिए, और इसी दौरान अपने पेट पर जलती हुई अखंड ज्योति को थामे रखे—सुनकर ही शरीर सिहर उठता है, पर बुंदेलखंड की भूमि पर यह एक सच्चाई बन चुकी है। टीकमगढ़ जिले के अजनौर गांव के रहने वाले लक्ष्मण लोधी ने चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर ऐसी तपस्या की है, जिसे देखकर विज्ञान भी एक पल को ठहर जाए। यह कहानी केवल आस्था की नहीं, आत्मबल, संयम और श्रद्धा की ऐसी मिसाल है जो पीढ़ियों तक सुनाई जाएगी। जब पूरा देश मंदिरों में मां दुर्गा की आराधना में लीन था, तब लक्ष्मण लोधी अपने ही शरीर को मंदिर बना बैठे — और पेट पर अखंड ज्योति जलाकर, स्वयं को माता रानी की भक्ति में अर्पित कर चुके थे।
42 वर्षीय लक्ष्मण लोधी, हर वर्ष की तरह इस बार भी चैत्र नवरात्रि में अपने घर पर मां दुर्गा के जवारे (शक्ति स्वरूप) स्थापित करते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने न केवल सात्विक पूजा का संकल्प लिया, बल्कि भक्ति की सीमाओं को लांघते हुए अपने शरीर पर अखंड दीप जलाने का संकल्प भी लिया। यह संकल्प केवल भावनाओं की बात नहीं थी, इसके पीछे एक रणनीति और गहरी साधना थी। परिजनों के अनुसार, लक्ष्मण ने दो दिन पहले से ही अपने शरीर को व्रत के लिए तैयार करना शुरू कर दिया था। पहले दिन थोड़ा भोजन किया, और दूसरे दिन से जल का भी त्याग कर दिया ताकि व्रत के दौरान उन्हें किसी शारीरिक जरूरत से न गुजरना पड़े। वे लगातार दस दिनों तक सीधे लेटकर पेट पर जलती ज्योति के साथ मौन साधना में लीन रहे।
लक्ष्मण की इस अनूठी साधना ने पूरे अजनौर गांव को भक्तिमय बना दिया। हर सुबह और शाम उनके घर में मां दुर्गा की आरती होती, भजन-कीर्तन गूंजते, और लोग दूर-दूर से जवारों के दर्शन के लिए पहुंचते। गांव का माहौल नवरात्र के आम पर्व से कहीं अधिक आध्यात्मिक और पवित्र हो गया था। घर के प्रत्येक सदस्य ने सात्विक जीवन को अपनाया और पूरे दस दिन तक किसी भी तरह की भौतिक सुविधा या विलासिता से दूरी बनाए रखी। यह केवल एक व्यक्ति की साधना नहीं थी, यह पूरे समुदाय की सहभागिता बन गई, जिसमें आस्था के साथ-साथ अनुशासन और एकता की झलक साफ दिखाई दी।






Total Users : 13293
Total views : 32195