दरवाजा बंद है, लेकिन दस्तक तेज़ है। सरकारी टीम का मुखिया हाथ में वारंट लिए खड़ा है—अंदर से आवाज़ आती है, “ये शस्त्रधारी देख रहे हो?” और बाहर से जवाब गूंजता है, “सरकारी कर्मचारी देख रहे हो!”… यही वो पल है जब फिल्म ‘रेड 2’ की कहानी हमारे सामने अपना दरवाज़ा खोलती है। अजय देवगन की सबसे चर्चित भूमिका—IRS अफसर अमर पटनायक की वापसी हो रही है, और इस बार उनका सामना है दादा भाई से, यानी रितेश देशमुख से, जिनका किरदार ताकतवर भी है और चालाक भी। टीज़र ने पहले ही माहौल बना दिया था, और अब ट्रेलर ने रहस्य, रोमांच और संघर्ष की एक नई लड़ाई का बिगुल फूंक दिया है।
2018 में आई ‘रेड’ फिल्म की तरह यह सीक्वल भी सच्ची घटनाओं से प्रेरित है। पहली फिल्म की तरह ‘रेड 2’ में भी एक भ्रष्ट ताकतवर नेता के खिलाफ़ छापेमारी की कहानी है, लेकिन इस बार साज़िश कहीं ज़्यादा गहरी है। दादा भाई, यानी रितेश देशमुख, न सिर्फ एक राजनेता हैं, बल्कि जनता की नज़रों में मसीहा भी हैं। लेकिन पर्दे के पीछे? एक सवाल है—क्या कानून इस बार भी सच्चाई तक पहुंच पाएगा? ट्रेलर में जब रितेश कहते हैं, “अच्छे नेता हाथ काले नहीं करते”, तो अजय देवगन का जवाब कहीं ज़्यादा भारी पड़ता है, “चक्रव्यूह में फंसोगे तो गुस्सा तो आएगा ही”।
‘रेड 2’ केवल एक सस्पेंस थ्रिलर नहीं है, बल्कि एक संवाद आधारित फिल्म है, जिसमें हर डायलॉग खुद में युद्ध का ऐलान लगता है। “मैं पांडव नहीं, मैं तो पूरी महाभारत हूं” जैसे डायलॉग केवल स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं, बल्कि समाज के उस वर्ग की आवाज़ हैं जो भ्रष्ट तंत्र से लड़ने की ताकत रखते हैं। निर्देशक राज कुमार गुप्ता ने फिर से दिखा दिया है कि अगर कहानी मजबूत हो और अभिनय दमदार, तो सिनेमा केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सामाजिक आईना भी बन है।
इस बार फिल्म में अजय और रितेश के अलावा सौरभ शुक्ला, वाणी कपूर, रजत कपूर, सुप्रिया पाठक और अमित सियाल जैसे अनुभवी कलाकार भी शामिल हैं। तमन्ना भाटिया का एक स्पेशल सॉन्ग ट्रेलर में दिखता है जो फिल्म की कमर्शियल अपील को और बढ़ा देता है। लेकिन फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है—उसका सामाजिक सन्देश। भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरुपयोग और कानून की लड़ाई को सिनेमा के ज़रिए लोगों के सामने लाना आज के दौर में बेहद ज़रूरी है, और यही काम ‘रेड 2’ करती दिख रही है।






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