Thursday, February 20, 2025

पहले भी हो चुके है कुंभ में भयावह हादसे, आखिर क्या हुआ था उस भगदड़ वाली रात

प्रयागराज: 144 वर्षों के बाद हो रहे महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु भारी संख्या में पहुंच रहे हैं। 29 जनवरी को होने वाले मौनी अमावस्या स्नान के लिए करोड़ों भक्तों का जनसैलाब संगम तट पर उमड़ पड़ा। लेकिन श्रद्धा और आस्था का यह महासंगम एक दर्दनाक हादसे में बदल गया। बीती रात करीब 1 बजे संगम नोज पर श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं।

बता दें की प्रयागराज महाकुंभ में हुआ यह हादसा कोई पहली बार नहीं है। कुंभ के दौरान भगदड़ की घटनाओं का एक लंबा इतिहास रहा है। आज़ादी के बाद 1954 में स्वतंत्र भारत के पहले कुंभ मेले में भगदड़ के कारण लगभग 800 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई थी। इसके बाद 1986 में हरिद्वार कुंभ में 200 लोगों की जान चली गई थी। वहीं, 2003 के नासिक कुंभ में भी भगदड़ की घटना दर्ज की गई थी। प्रयागराज में इससे पहले 2013 के महाकुंभ में रेलवे स्टेशन और कुंभ क्षेत्र में मची भगदड़ में 42 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।

लेकिन अब बात करते है 2025 की उस रात की जिस रात ने कई जिंदगियां छीन ली। बता दें की बीती रात लगभग 1 बजे, जब श्रद्धालुओं का समूह संगम स्नान के लिए घाट की ओर बढ़ रहा था, तब बैरिकेडिंग के पास सो रहे कुछ लोग अचानक भीड़ में दब गए और गिर पड़े। पीछे से आ रही भीड़ ने खुद को संभालने का प्रयास किया लेकिन स्थिति बेकाबू होती गई और भगदड़ मच गई। कुछ ही मिनटों में वहां चीख-पुकार मच गई और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरने लगे। अफरातफरी इतनी बढ़ गई कि प्रशासन भी स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर सका।

महाकुंभ हादसे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। भयावह दृश्य देखकर लोग स्तब्ध हैं। तस्वीरों में दिख रहा है कि कैसे भगदड़ के दौरान लोग जमीन पर गिरे पड़े हैं और उनके ऊपर से भीड़ गुजर रही है। प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह त्रासदी हुई, जिससे हर कोई आक्रोशित है।

144 वर्षों के बाद हो रहे इस महाकुंभ में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। अगर आप भी स्नान के लिए प्रयागराज आने की योजना बना रहे हैं, तो कुछ सावधानियों का पालन जरूर करें। भीड़भाड़ वाले दिन, खासकर शाही स्नान के आसपास के दिन यहां आने से बचें। स्नान के लिए संगम नोज पर ही जाने की जिद न करें, बल्कि जहां जगह मिले वहीं स्नान करें। श्रद्धालुओं को सलाह दी जाती है कि वाहन पार्किंग की समस्या को ध्यान में रखते हुए 10-12 किलोमीटर पैदल चलने के लिए तैयार रहें। प्रशासन को चाहिए कि वह भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था को सख्त करे ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों से बचा जा सके।

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