क्या यह सनातन प्रेम है या एक और पब्लिसिटी स्टंट? क्या धार्मिक मंचों पर सेलिब्रिटी की मौजूदगी केवल चर्चा बटोरने का जरिया है या कोई गहरी आस्था का प्रमाण? प्रयागराज कुंभ में संतों के साथ रथ पर सवार होकर सुर्खियों में आईं मॉडल और एंकर हर्षा रिछारिया एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वह होली भाई दूज के मौके पर उत्तर प्रदेश के संभल शहर पहुंचीं और सनातन संस्कृति के महत्व को उजागर किया। लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि धार्मिक आयोजनों में ग्लैमर की एंट्री क्या सिर्फ आस्था है, या इसके पीछे कोई रणनीति?
रविवार को हर्षा रिछारिया संभल पहुंचीं, जहां उन्होंने सनातन परंपरा के तहत होली भाई दूज का तिलक लगाकर लोगों से संवाद किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, “संभल को लेकर वेदों, पुराणों और शास्त्रों में लिखा गया है कि कलियुग के अंत में भगवान कल्कि का अवतरण यहीं होगा। ऐसे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल को जानना और उसका सम्मान करना हर सनातनी का कर्तव्य है।” अपने इस बयान से हर्षा ने धार्मिक समुदाय के बीच एक नई चर्चा को जन्म दे दिया है।
हर्षा ने स्पष्ट किया कि वह कोई सन्यासिनी या साध्वी नहीं हैं, बल्कि वह केवल सनातन संस्कृति को समझने और इसे बढ़ावा देने के लिए इस यात्रा पर निकली हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज के खिलाफ होने वाली हिंसा पर राजनीतिक दलों की चुप्पी चिंताजनक है। उन्होंने कहा, “आज हिंदुओं को जिंदा जलाया जा रहा है, ट्रेनों में मारा जा रहा है, लेकिन इस पर कोई भी राजनीतिक दल आवाज नहीं उठाता।”
हर्षा रिछारिया ने अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को समर्थन देते हुए कहा कि “सिर्फ एक पार्टी हिंदुओं की बात करती है, बाकी सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर उसके खिलाफ खड़ी हैं।” उनके इस बयान को राजनीतिक हलकों में भी काफी गंभीरता से लिया जा रहा है।
सवाल यह है कि क्या एक मॉडल और एंकर का धार्मिक आयोजनों में इस तरह खुलकर राजनीति पर बयान देना महज संयोग है या इसके पीछे कोई रणनीति? क्या वह खुद को एक धार्मिक या राष्ट्रवादी छवि में ढाल रही हैं?
जनवरी में प्रयागराज महाकुंभ में हर्षा रिछारिया तब सुर्खियों में आई थीं जब वह संतों के साथ एक रथ पर बैठकर मेले में प्रवेश कर रही थीं। उनकी यह तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं और इस पर कई संतों ने आपत्ति जताई। संतों का कहना था कि कुंभ केवल आध्यात्मिक जागरूकता और ज्ञान के लिए होता है, इसे प्रचार और ग्लैमर के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।
इस विवाद के बाद भी हर्षा पीछे नहीं हटीं। उन्होंने सोशल मीडिया पर ऐलान किया कि वह होली भाई दूज पर सनातनी भाइयों और बहनों के बीच समय बिताने के लिए संभल जाएंगी।
हर्षा रिछारिया एक सोशल मीडिया स्टार भी हैं, उनके इंस्टाग्राम पर 1.8 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स हैं। उनके इस धार्मिक झुकाव को कुछ लोग आस्था से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे पब्लिसिटी स्टंट मान रहे हैं।