क्या आपने कभी सोचा है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली परफेक्ट प्रोफाइल्स, सुंदर चेहरे और मीठी बातें आपके जीवन को बर्बाद भी कर सकती हैं? अगर नहीं, तो मध्य प्रदेश से सामने आई यह सनसनीखेज कहानी आपकी सोच को झकझोर देगी। इश्क़ की आड़ में एक एनआरआई सॉफ्टवेयर इंजीनियर से 2 करोड़ 68 लाख रुपए लूट लिए गए… और ये सब किया गया बेहद सधे हुए प्लान के तहत, वो भी एक भाई-बहन की जोड़ी द्वारा। इस लूट की पटकथा मेट्रिमोनियल साइट पर लिखी गई, लेकिन इसका क्लाइमैक्स हुआ एक वीडियो कॉल के बाद… जब सच्चाई का चेहरा सामने आया।
2023 की शुरुआत में नॉर्थ कैरोलिना (अमेरिका) में रहने वाले एक एनआरआई सॉफ्टवेयर इंजीनियर की मुलाकात एक लड़की की प्रोफाइल से हुई। नाम था — बरखा जैसवानी, फोटो एक मॉडल की, और बातचीत बेहद प्रभावशाली। धीरे-धीरे दोनों के बीच नज़दीकियां बढ़ीं, शादी की बात भी होने लगी। लेकिन यह सब एक झूठी स्क्रिप्ट थी, जिसे इंदौर के विशाल और उसकी बहन सिमरन जैसवानी ने बहुत ही चालाकी से लिखा था। प्रोफाइल, तस्वीरें और बातचीत—सब कुछ फर्जी था, लेकिन इमोशन असली थे… कम से कम उस एनआरआई के लिए, जो असल में धोखे की दुनिया में घिरता चला गया।
बातचीत शुरू होते ही बरखा उर्फ सिमरन ने धीरे-धीरे अपनी ‘दुखभरी कहानी’ सामने रखनी शुरू की—बीमारी का बहाना, लोन की मजबूरी, निजी परेशानियां और पारिवारिक जिम्मेदारियां। भावनात्मक रूप से जुड़ चुके इंजीनियर ने भी हर बार मदद के लिए पैसे भेजे। कभी लाखों, तो कभी करोड़—कुल मिलाकर 2 करोड़ 68 लाख 64 हजार रुपए का ट्रांजैक्शन हुआ। इधर इंदौर में बैठे विशाल और सिमरन ऐश की जिंदगी जीते रहे—महंगी गाड़ियां, ब्रांडेड शॉपिंग, और सोशल मीडिया पर रील्स की दुनिया में रच बस गए।
एक साल तक सबकुछ स्मूथ चल रहा था, लेकिन एक दिन इंजीनियर ने वीडियो कॉल करने की जिद की। और यहीं पर पर्दाफाश हो गया। कॉल पर ना तो बरखा थी, ना ही वो मासूम चेहरा जो तस्वीरों में था। एनआरआई को शक हुआ और उसने पूरी बातचीत, ट्रांजैक्शन और प्रोफाइल्स का स्क्रीनशॉट लेकर इंदौर पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। मामला तुरंत क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। पुलिस की साइबर टीम ने आईपी एड्रेस और कॉल डिटेल्स के ज़रिए अहमदाबाद से दोनों को धर दबोचा।
क्राइम ब्रांच ने आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ-साथ उनके पास से लाखों के महंगे मोबाइल, कारें और फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। पुलिस का कहना है कि अब इस फ्रॉड के पैसे से खरीदी गई संपत्तियों को जब्त किया जाएगा। साथ ही इस मामले से जुड़े अन्य पीड़ितों की पहचान भी की जा रही है। जांच में सामने आया है कि भाई-बहन की यह जोड़ी पहले भी कई लोगों को इसी तरह झांसे में लेकर ठग चुकी है, लेकिन इतनी बड़ी रकम पहली बार हाथ लगी थी।
यह कहानी सिर्फ ठगी की नहीं, बल्कि आज की डिजिटल दुनिया के उस काले सच की भी है, जहाँ झूठ की नींव पर खड़ी प्रोफाइल्स इंसानी रिश्तों को लील रही हैं। क्या हमारी मेट्रिमोनियल साइट्स, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स वाकई इतने सुरक्षित हैं? और क्या डिजिटल रिश्तों पर अंधविश्वास अब एक बीमारी बन चुकी है?







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