Friday, December 5, 2025

एक पर्ची ने बदल दी किस्मत: जब बुजुर्ग बोले नहीं, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री समझ गए सब कुछ

कल्पना कीजिए… भीड़ से घिरे एक मंच पर सैकड़ों की आंखें एक व्यक्ति पर टिकी हैं। न कोई सवाल पूछा गया, न कोई समस्या बताई गई – लेकिन जैसे ही एक कागज़ की पर्ची बुजुर्ग के हाथ में दी जाती है, उनके चेहरे पर आंसू और आस्था दोनों छलक पड़ते हैं। क्या ये सिर्फ संयोग था? या कोई अद्भुत शक्ति काम कर रही थी? मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के मंच पर एक बार फिर कुछ ऐसा हुआ जिसने श्रद्धा और संदेह के बीच खड़ी रेखा को मिटा दिया। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जो अक्सर अपने ‘दिव्य ज्ञान’ के लिए सुर्खियों में रहते हैं, इस बार भी उसी रहस्यमयी अंदाज़ में सामने आए – बिना एक शब्द कहे, उन्होंने उस बुजुर्ग की पीड़ा को कागज़ पर उतार दिया।

वीडियो की शुरुआत में दिखता है एक बुजुर्ग व्यक्ति, जिनके चेहरे पर चिंता की रेखाएं साफ दिखती हैं। वह कुछ बोल भी नहीं पाते कि शास्त्री जी पहले ही एक पर्ची निकालकर उनके हाथ में थमा देते हैं। उस पर्ची में लिखा होता है – “घर में पैसे की तंगी है, बच्चों के भविष्य की चिंता सताती है, रोजगार को लेकर आवेदन लेकर आए हैं।” ये पढ़ते ही बुजुर्ग की आंखें भर आती हैं, और वे चुपचाप सिर हिलाकर सहमति जताते हैं। मंच पर मौजूद लोगों की सांसें थम सी जाती हैं। यह सिर्फ एक “दावा” नहीं बल्कि श्रद्धा की जमीन पर उगती उम्मीद की फसल लगती है।

जहां एक ओर इस घटना को देखने वाले हजारों श्रद्धालु इसे ‘ईश्वर की कृपा’ मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग सवाल भी उठाते हैं। क्या यह केवल मनोवैज्ञानिक पढ़ने की कला है? या फिर वास्तव में कोई आध्यात्मिक शक्ति कार्यरत है? लेकिन इस पूरी घटना में जो बात सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है, वो है उस बुजुर्ग की आंखों में आई वो चमक, जो शायद वर्षों बाद लौटी हो। वे बिना कुछ कहे उस मंच से उठते हैं, सिर झुकाकर आशीर्वाद लेते हैं और चले जाते हैं — लेकिन पीछे छोड़ जाते हैं एक ऐसा पल, जिसे भूल पाना आसान नहीं।

इस वीडियो को बागेश्वर धाम सरकार के आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपलोड किया गया है, जिसे लाखों लोगों ने देखा और हज़ारों ने कमेंट कर अपना अनुभव साझा किया। कोई कहता है – “मेरे गुरुदेव जैसा कोई नहीं”, तो कोई लिखता है – “8 अर्जियां लगा चुका हूं, आगे भी लगाता रहूंगा, बस कृपा बनी रहे।” यह वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतीक है, जिसमें लाखों लोग भरोसा करते हैं – बिना शर्त, बिना सवाल। डिजिटल युग में भी श्रद्धा की जड़ें कितनी गहरी हैं, यह पोस्ट एक बार फिर साबित करता है।

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