Sunday, April 13, 2025

Mp News : जंगल में छिपा था टीएसपीसी का बड़ा नेटवर्क, लातेहार पुलिस ने हथियारों के जखीरे संग किया पर्दाफाश

घने जंगल, रहस्यमयी हलचलें और अचानक सायरन की आवाजें… क्या हो रहा था लातेहार के हेसाबार भांग जंगल में? कौन लोग थे जो छिपकर कर रहे थे एक बड़ी साजिश की तैयारी? और फिर—एक सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई में पुलिस ने जो किया, वो हर किसी को चौंका देने वाला था। टीएसपीसी उग्रवादियों के उस गुट को धर दबोचा गया, जो पिछले कई वर्षों से पूरे इलाके में दहशत फैला रहा था।

लातेहार पुलिस ने उस नेटवर्क को बेनकाब कर दिया है, जो उग्रवाद की नई लहर फैलाने की साजिश रच रहा था। प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन टीएसपीसी के छह सक्रिय सदस्य भारी मात्रा में हथियारों और कारतूस के साथ पकड़े गए हैं। यह गिरफ्तारी बालूमाथ एसडीपीओ की अगुआई में एक विशेष गुप्त ऑपरेशन के तहत की गई, जिसमें पुलिस टीम ने हेसाबार भांग के गहरे जंगलों में छापेमारी की। बरामद हथियारों की फेहरिस्त चौंकाने वाली है—चार राइफल, एक ऑटोमैटिक रिवॉल्वर, और एके-47 और एके-56 के 1102 जिंदा कारतूस। जिन चेहरों को हिरासत में लिया गया, उनमें टीएसपीसी के सब-जोनल कमांडर नारायण भोक्ता और खूंखार उग्रवादी छोटू बाबा भी शामिल हैं।

पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव ने प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि ये उग्रवादी लातेहार, चतरा, पलामू और गढ़वा जिलों में लेवी वसूली, धमकी और ठेकेदारों पर हमलों में सक्रिय थे। टीएसपीसी की यह टीम न सिर्फ आर्थिक आतंक फैला रही थी, बल्कि आने वाले दिनों में किसी बड़े हमले की फिराक में थी। यह कार्रवाई सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश को निष्फल करने जैसा है। एसपी ने कहा कि इन उग्रवादियों के मोबाइल और डिजिटल उपकरणों की भी जांच की जा रही है, जिससे नेटवर्क के अन्य सदस्यों और फंडिंग के स्रोतों का भी खुलासा होगा।

इस ऑपरेशन में बालूमाथ, बारियातू और मनिका थाना क्षेत्र की पुलिस के साथ IRB-4 और तकनीकी शाखा की टीम ने मिलकर बेहतरीन तालमेल दिखाया। जंगल की जटिल भौगोलिक स्थिति के बावजूद सुरक्षा बलों ने सटीक जानकारी, मजबूत योजना, और मौके की नब्ज पकड़कर बिना गोली चले उग्रवादियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की यह सफलता बताती है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति और पुलिस की कार्यकुशलता साथ हो, तो किसी भी आतंक का अंत संभव है।

जहां इस सफलता पर पुलिस की तारीफ बनती है, वहीं यह सवाल भी उठता है कि क्या ये कार्रवाई अंतिम साबित होगी या फिर कुछ समय बाद फिर कोई नया समूह सिर उठाएगा? क्या इन उग्रवादियों के राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण की भी जांच होगी? यह समझना जरूरी है कि उग्रवाद केवल बंदूक का सवाल नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक असमानताओं का नतीजा है। अगर इन कारणों की जड़ में जाकर समाधान नहीं खोजे गए, तो कार्रवाई सिर्फ एक ‘जुर्म की तस्वीर’ बदलने जैसा होगा—असलियत जस की तस रहेगी।

यह खबर सिर्फ एक गिरफ्तारी की नहीं, बल्कि उस लड़ाई की है जो हर नागरिक को सजग बनाकर जीती जा सकती है। पुलिस के साथ मिलकर अगर हम समाज में भरोसे और विकास का माहौल बनाएंगे, तो उग्रवाद की जमीन खुद-ब-खुद बंजर हो जाएगी। आज जरूरी है कि हर पंचायत, हर स्कूल, हर मोहल्ले में विकास की रौशनी पहुंचे। तभी बंदूकें खुद खामोश हो जाएंगी।

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