जबलपुर की नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल में आज सैकड़ों बहनों ने अपने बंदी भाइयों की कलाई में राखी बांधी और उनसे कसम ली कि अब कभी भी जीवन में वह अपराध नही करेंगे। भाइयों ने भी अपनी बहन के सिर पर हाथ रखकर उनसे वादा किया किया कि वह अपराध से तौबा करते हुए दूर रहेंगे। जेल प्रबंधन ने भी बंदी भाइयों से मिलने आई बहनों के लिए व्यवस्था कर रखी थी। सुबह से ही जेल के बाहर बहनें भाई से मिलने के लिए इंतजार कर रही थी।
राखी पर्व पर जेल प्रबंधन ने नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल के दो गेटों को बहनों के लिए खोल दिया। जेल के मुख्य गेट के अलावा खुली जेल से भी बहनें भाई से मिलने के लिए जेल के अंदर गई। प्रबंधन ने जेल मैदान में टेंट लगवाकर भाइयों को बहनों से राखी बँधवाई। सुरक्षा के मद्देनजर जेल प्रबंधन ने जिला पुलिस बल भी तैनात किया था। केंद्रीय जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर पूरे कार्यक्रम की स्वयं निगरानी कर रहें थे। जलचर ने बताया कि राखी के इस पर्व परबाहर से आई बहनों के लिए खास व्यवस्था की गई है। करीब एक हजार से ज्यादा बहनों ने आज अपने भाइयों की कलाईयों में राखी बांधी।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि बीते दो सालों तक कोरोना संक्रमण के कारण जेल में राखी का कार्यक्रम नही हो पाया है। इस साल सरकार के निर्देश पर प्रदेश की सभी जेलों में राखी का त्यौहार मनाया जा रहा है। जेल में आज जो भी महिलाएं अंदर आ रही है उनके बाकायदा नाम भी लिखे जा रहें है। इसके साथ ही जो बहनें दूर-दराज से आ रही है उन्हें भी मिलवाया जा रहा है।
रक्षाबंधन त्यौहार पर एक मां भी अपनी बेटे को राखी बांधने सिर्फ इसलिए आई थी कि उनकी बेटी की इच्छा थी और वह किसी कारणवश नही आ पाई। रांझी निवासी ललिता चौधरी ने बताया कि हत्या के आरोप में उनका बेटा बीते 10 सालों से जेल में बंद है। हर साल बेटी जेल में भाई गुलशन को राखी बांधती थी। लेकिन इस बार गर्भवती होने के कारण वह नही आई। बहन ने राखी भेजकर मां को कसम दी थी कि वह जाए और भाई को राखी बांधे।
रक्षाबंधन पर्व पर जेल प्रबंधन ने विशेष व्यवस्था की है। महिला बंदियों को भी उनके भाइयों से राखी बंधवाने की व्यवस्था की थी। जबलपुर जेल में करीब 25 महिला बंदी है, जो कि अलग-अलग अपराधों में सजा काट रही है। जबलपुर जेल प्रबंधन ने बाहर से आने वाली हर तरह के खाने-पीने की चीजों पर प्रतिबंध लगा रखा है। जेल विभाग ने अपनी निगरानी में बनी मिठाइयां जेल के बाहर कैंटीन में रखवाई थी। भाइयों से मिलने जो भी बहनें जेल के अंदर आई थी, उन्हें सिर्फ जेल की मिठाई ही अंदर लाने की अनुमति दी गई थी।






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