Friday, December 5, 2025

बहू की मौत पर सास को 82 लाख का मुआवजा:इंदौर में बेटे ने भी हादसे में गंवाई थी जान; कोर्ट ने बहू का नॉमिनी सास को माना

इंदौर में सड़क हादसे में जान गंवाने वाली बहू का 82 लाख रुपए मुआवजा सास के खाते में जमा होगा। हादसे में बेटे की भी मौत हो गई थी। उन्हें दोनों के क्लेम का 1.31 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाएगा। आमतौर पर सास को बहू का नॉमिनी नहीं माना जाता, लेकिन इस केस में माना है। मुआवजा राशि नेशनल इंश्योरेंस कंपनी बुजुर्ग सास के खाते में जमा करेगी। यह फैसला सात साल केस चलने के बाद 25 अगस्त को स्थानीय अदालत ने दिया है। जान गंवाने वाला बेटा व्यापार करने के साथ ही सेल्स एग्जीक्यूटिव भी था। बहू पंजाब नेशनल बैंक में मैनेजर थी।

मामला स्कीम-94 में रहने वाले आयुष (29) और उनकी पत्नी श्वेता दीक्षित (28) की मौत से जुड़ा है। आयुष और श्वेता की शादी तीन साल पहले हुई थी। उनकी संतान नहीं थी। दोनों 16 नवंबर 2016 की रात 1.30 बजे होटल से खाना खाकर लौट रहे थे। उनकी कार बॉम्बे हॉस्पिटल चौराहे के पास खड़े कंटेनर में घुस गई थी। श्वेता की सास मालती देवी, ससुर गौरीशंकर दीक्षित (53) और देवर दिव्यांश ने कोर्ट में क्लेम केस लगाया। आयुष की मौत के एवज में 1.10 करोड़ रुपए और बैंक मैनेजर पत्नी श्वेता की मौत के मामले में 1.20 करोड़ रुपए का क्लेम मांगा गया था। केस की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर का निधन हो गया।

कंटेनर को लेकर चली लंबी बहस

जिस कंटेनर के कारण दुर्घटना हुई थी, उसे लेकर दोनों पक्षों की ओर से कोर्ट में जमकर बहस हुई। मालती देवी की ओर एडवोकेट राजेश खण्डेलवाल ने दावा किया कि कंटेनर ड्राइवर की गलती थी। उसने बिना इंडीकेटर और बैक लाइट जलाए लापरवाही से कंटेनर खड़ा किया था। इस कारण आयुष की कार टकरा गई।

कंटेनर मालिक की ओर से इंश्योरेंस कंपनी के एडवोकेट ने तर्क दिया कि कंटेनर साइड में ही खड़ा था। आयुष काफी तेज रफ्तार और लापरवाही से कार चला रहा था। घटना के समय कार की लाइट चालू थी। चौराहे की सारी लाइट्स जल रही थी। ऐसे में पीछे से टकराने पर कंटेनर ड्राइवर की कोई गलती नहीं है।

कोरोना से हो गई थी आयुष के पिता की मौत

कोरोना के कारण लगभग ढाई साल तक केस में सुनवाई और जिरह की रफ्तार धीमी रही। इस बीच 18 अप्रैल 2021 को आयुष के पिता गौरीशंकर दीक्षित की भी कोरोना से मौत हो गई। हालांकि इस केस की सुनवाई के दौरान उनके बयान हो चुके थे। बहरहाल, दोनों पक्षों के तर्क सुनने के बाद एडवोकेट राजेश खंडेलवाल के तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने माना कि दुर्घटना में आयुष की कोई गलती नहीं थी। घटना के दौरान देवर दिव्यांश 19 साल का था और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।

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