सतना में एक 6 वर्षीय बालिका का स्कूल में दाखिला धार्मिक आधार पर रोक दिए जाने का मामला सामने आया है। हालांकि स्कूल प्रबंधन इससे इंकार कर रहा है लेकिन पहली बार सामने आई इस किस्म की यह घटना सुर्खियों में छाई हुई है।
जानकारी के मुताबिक सतना शहर के पन्नीलाल चौक क्षेत्र में किराए पर कमरा लेकर रहने वाली चन्द्रवती उर्फ सोनू गुप्ता अपनी 6 वर्षीय पुत्री आंहवी गुप्ता का दाखिला पहली कक्षा में कराना चाहती थी। वह घरेलू कामकाज और लोगों के यहां भोजन पकाकर गुजारा करती है। उसने अपने किराए के कमरे के पास शास्त्री चौक स्थित एहसानिया स्कूल में अपनी बेटी के दाखिले के लिए आवेदन किया था लेकिन वहां बेटी को एडमीशन नहीं दिया गया। जबकि पहले उसे भरोसा दिलाया गया था लिहाजा उसने यूनिफॉर्म,जूते,किताबें वगैरह खरीद लीं थीं।
सोनू गुप्ता ने बताया कि उसे चार महीने तक एडमीशन के नाम पर एहसानिया स्कूल के हेडमास्टर खुर्रम और प्रबंधन ने चक्कर लगवाए और फिर बाद में यह कहते हुए दाखिला देने से इंकार कर दिया कि हिन्दू लड़की को उनके स्कूल में प्रवेश नहीं दिया जा सकता। यह जवाब सुनकर वह अवाक रह गई।
उधर, इस मामले में एहसनिया स्कूल के हेडमास्टर खुर्रम और विद्यालय संचालन समिति के सचिव अनीस अहमद बाबा का कहना है कि किसी भी समाज-वर्ग के बच्चे को स्कूल में दाखिला देने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। स्कूल में हिंदुओं के भी बहुत बच्चे पढ़ते हैं। स्कूल के स्टाफ में भी कई हिन्दू हैं।
सोनू गुप्ता के आरोपों को निराधार बताते हुए उन्होंने बताया कि उसके दस्तावेज पूरे नहीं थे। जन्म प्रमाण पत्र में माता का नाम चन्द्रवती पिता का नाम गुलाब गुप्ता लिखा था लेकिन वह अपने साथ आये मुस्लिम युवक का नाम जोड़कर बेटी का एडमीशन करने को कह रही थी जो संभव नहीं था। सही दस्तावेजों और नाम के साथ प्रवेश देने से अब भी कोई ऐतराज नहीं है।
यह मामला सुर्खियों में आने के बाद डीईओ नीरव दीक्षित ने डीपीसी विष्णु त्रिपाठी से वास्तविकता की जांच करने को कहा है। डीपीसी का कहना है कि दस्तावेज न होने के कारण किसी का एडमीशन नहीं रोका जा सकता। जन्म प्रमाण पत्र भी पर्याप्त है।
बता दें कि मोहम्मद एहसानिया हायर सेकेंडरी स्कूल पिछले काफी समय से विवादों से घिरा है। इसकी संचालन कमेटी,अनुदान और स्कूल की जमीनों के खुर्दबुर्द होने के मामले की शिकायत की जांच चल रही है। अब इस नए मामले ने इस स्कूल को नए आरोपों से घेर दिया है