भारत ने श्रीलंका को क्यों दे दिया था कच्चाथीवू:इंदिरा के समझौते की पूरी कहानी, जिस पर PM मोदी ने हमला बोला

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‘ये विपक्ष के लोग जो सदन से बाहर गए हैं, उनको जरा पूछिए। ये कच्चाथीवू क्या और कहां है? ये DMK वाले और उनकी सरकार मुझे चिट्ठी लिखती है कि मोदी जी कच्चाथीवू को वापस ले आइए। तमिलनाडु से आगे और श्रीलंका से पीछे एक टापू किसने किसी दूसरे को दिया था। क्या यह क्षेत्र मां भारती का अंग नहीं था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने इसे भी भारत से अलग करने का काम किया था।’

10 अगस्त को सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर ये बात PM नरेंद्र मोदी ने कही है। दरअसल, विपक्षी सांसदों ने मणिपुर मामले में PM मोदी पर देश तोड़ने के आरोप लगाए थे। इसके जवाब में PM मोदी ने कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को देने का मुद्दा उठाकर कांग्रेस पर हमला बोला है।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कच्चाथीवू द्वीप क्या है, कहां है और किन शर्तों के साथ इस द्वीप को भारत सरकार ने श्रीलंका को सौंपा था…

भारत के तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच काफी बड़ा समुद्री क्षेत्र है। इस समुद्री क्षेत्र को पाक जलडमरूमध्य कहा जाता है। यहां कई सारे द्वीप हैं, जिसमें से एक द्वीप का नाम कच्चाथीवू है।

श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक कच्चाथीवू 285 एकड़ में फैला एक द्वीप है। ये द्वीप बंगाल की खाड़ी और अरब सागर को जोड़ता है।

ये द्वीप 14वीं शताब्दी में एक ज्वालामुखी विस्फोट के बाद बना था। जो रामेश्वरम से करीब 19 किलोमीटर और श्रीलंका के जाफना जिले से करीब 16 किलोमीटर की दूरी है। रॉबर्ट पाक 1755 से 1763 तक मद्रास प्रांत के अंग्रेज गवर्नर हुआ करते थे। इस समुद्री क्षेत्र का नाम रॉबर्ट पाक के नाम पर ही पाक स्ट्रेट रखा गया।

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