विजयादशमी पर्व का उल्लास अपने चरम पर पहुंच गया है। प्रदेश भर में बुराई के प्रतीक रावण को जलाया गया। सबसे बड़ा आयोजन रायपुर के WRS कॉलोनी में हुआ। यहां धनुष से निकले अग्निवाण ने रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों को जलाकर नष्ट कर दिया। जोर की आतिशबाजी के साथ रावण के पुतले को जलाया। पूरा दशहरा मेला परिसर सियावर रामचंद्र की जय से गूंज उठा।
टीवी के राम-सीता का जोरदार स्वागत
इस आयोजन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे थे। मुख्यमंत्री का पूरा परिवार इस आयोजन में शामिल हुआ। टीवी धारावाहिक रामायण में भगवान राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल और सीता की भूमिका निभाने वाली दीपिका चिखलिया भी आयोजन में शामिल हुए। उनको एक सजे हुए रथ पर बिठाकर समारोह में ले जाया गया। उनके अलावा स्थानीय विधायक कुलदीप जुनेजा, महापौर एजाज ढेबर सहित बहुत से जनप्रतिनिधि और अफसर शामिल हुए। मैदान में मौजूद हजारों लोग पूरे दृश्य को मोबाइल कैमरे में कैद करते नजर आए। एक बार सभी ने मोबाइल की सर्च लाइट जलाकर लहराया। इसकी वजह से मैदान में दिवाली जैसा नजारा दिखा। रावण दहन के बाद यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
रावण के पुतले का दहन
रावण दहन से पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, भगवान राम को “राम’ बनाने में सर्वाधिक किसी प्रदेश का योगदान रहा है वह छत्तीसगढ़ ही है। एक समय था जब दुष्ट, दुष्ट प्रवृत्ति का होता था। सज्जन में सज्जनता होती थी। आजकल भगवान ने ऐसा कर दिया है कि एक ही व्यक्ति के भीतर सज्जन और दुष्ट दोनों है। हमें कुछ ऐसा करना चाहिए कि सज्जनता जीत सके। दशहरा उत्सव को संबोधित करते हुए अरुण गोविल ने कहा, मारी विजय रावण नाम के शत्रु के खिलाफ ही नहीं होनी चाहिए। हमारी विजय अहम पर होनी चाहिए। पावर बहुत ज्यादा करप्ट कर देती है। यह बात रावण के साथ कही जा सकती है लेकिन राम जी के साथ नहीं कही जा सकती। यह बातें हमें रामायण से सीखनी चाहिए। रामायण की सीख से हमारे विकारों पर विजय पाई जा सकती है। हम पहले अपने आप पर विजय पायें तभी हर साल दशहरा मनाना सफल होगा। अरुण गोविल ने रामायण धारावाहिक से राम-रावण युद्ध का एक संवाद भी सुनाया।
टीवी के राम अरुण गोविल का सीएम ने किया स्वागत
दीपिका बोलीं, मैं हूं न छत्तीसगढ़ की बहू
दीपिका ने कहा, मुझे यह तो पता था कि यहां भगवान राम की ननिहाल है। हम चंदखुरी में माता कौशल्या के मंदिर गए। वहां लोगों ने पूछा कैसा लगा भगवान राम की ननिहाल आकर। मैंने कहा, यह क्यों नहीं पूछते कैसे लगा ससुराल आकर। मैं हूं न छत्तीसगढ़ की बहू। यह दशहरा बताता है कि, हमें अपने अंदर के रावण को हटाना है और एक अच्छा नागरिक और व्यक्ति बनना है।
बुराई पर अच्छाई की जीत
इन जगहों पर भी भव्य आयोजन
रावण भाठा मैदान: रावणभाठा मैदान में बड़ा उत्सव हुआ। यहां रावण के अलावा मेघनाथ और कुंभकर्ण के 60 और 30 फीट ऊंचे पुतलों का दहन किया गया। यहां आतिशबाजी के लिए जबलपुर से विशेष टीम पहुंची थी। दूधाधारी मठ से निकलकर बालाजी की पालकी भी दशहरा मैदान पहुंची। इस दौरान भव्य ध्वजा भी निकाली जाती है। साल में सिर्फ एक बार ही आयोजन दशहरा के मौके पर होता है।
सप्रे स्कूल मैदान: सप्रे स्कूल के ग्राउंड में 50 फीट के रावण का दहन हुआ। वहीं 40-40 फीट के मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले भी जले। रावण दहन के पहले रामलीला का मंचन हुआ। बाद में आतीशबाजी के साथ रावण का दहन हुआ। वहां मेला भी लगा रहा।
छत्तीसगढ़ नगर टिकरापारा: छत्तीसगढ़ नगर में 75 फीट के रावण का दहन हुआ। कोलकाता से आए आतिशबाजों ने अपनी कला से आसमान को रंग-बिरंगा कर दिया। सोनपैरी गांव की मंडली ने यहां रावण दहन से पहले रामलीला का मंचन किया।