Friday, December 5, 2025

History जानिये ट्रेन का शौचालय कैसे आया चलन में

ओखिल बाबू ने आज जमकर कटहल की सब्जी और रोटी खाई , फिर निकल पड़े अपनी यात्रा पर . ट्रेन के डिब्बे में एक ही जगह बैठे बैठे पेट फूलने लगा , और गर्मी के कारण पेट की हालत नाजुक होने लगी .

ट्रेन अहमदपुर रेलवे स्टशेन पर रुकी तो ओखिल बाबू प्लेटफार्म से अपना लोटा भर कर पटरियों के पार हो लिये . दस्त और मरोड़ से बेहाल ओखिल बाबू ढंग से फारिग भी न हो पाये थे कि गार्ड ने सीटी बजा दी .

सीटी की आवाज सुनते ही ओखिल बाबू जल्दबाजी में एक हाथ में लोटा और दूसरे हाथ से धोती को उठा कर दौड पड़े . ट्रेन चलने की इसी जल्दबाजी और हडबड़ाहट में ओखिल बाबू का पैर धोती में फँस गया और वो पटरी पर गिर पडे . धोती खुल गयी .

शर्मसार ओखिल बाबू के दिगम्बर स्वरूप को प्लेटफार्म से झाँकते कई औरत मर्दों ने देखा ! !! कुछ ओखिल बाबू के दिगम्बर स्वरूप पर ठहाके मारने लगे !

ओखिल बाबू ट्रेन रोकने के लिए जोर जोर से चिल्लाने लगे , लेकिन ट्रेन चली गयी . ओखिल बाबू अहमदपुर स्टेशन पर ही छूट गये .

ये बात है 1909 की . तब ट्रेन में टाॅयलेट केवल प्रथम श्रेणी के डिब्बों में ही होते थे . और तो और 1891 से पहले प्रथम श्रेणी में भी टाॅयलेट नहीं होते थे .

ओखिल बाबू यानि ओखिल चन्द्र सेन नाम के इस मूल बंगाली यात्री को अपने साथ घटी घटना ने बहुत विचलित कर दिया !

तब उन्होंने रेल विभाग के साहिबगंज मंडल रेल कार्यालय के नाम एक धमकी भरा पत्र लिखा ! जिसमें धमकी ये थी कि यदि आपने मेरे पत्र पर कार्यवाही नहीं की तो मैं ये घटना अखबार को बता दूँगा .

मतलब उस दौर में अखबार का डर होता था ! उन्होंने ऊपर बताई सारी घटना का विस्तार से वर्णन करते हुए अंत में लिखा कि यह बहुत बुरा है कि जब कोई व्यक्ति टॉयलेट के लिए जाता है तो क्या गार्ड ट्रेन को 5 मिनट भी नहीं रोक सकता ?

मैं आपके अधिकारियों से गुजारिश करता हूँ कि जनता की भलाई के लिए उस गार्ड पर भारी जुर्माना लगाया जाए . अगर ऐसा नहीं होगा तो मैं इसे अखबार में छपवाऊँगा !

रेल्वे से लेकर सरकार में तब इंसान रहते थे ! उनमें आदमियत थी . बेशक अंग्रेज सरकार थी , पर आम आदमी की आवाज सुनी जाती थी .

उन्होंने एक आम यात्री के इस पत्र को इतनी गंभीरता से लिया कि अगले दो सालों में ट्रेन के हर डिब्बे में टाॅयलेट स्थाापित कर दिये गये .

तो ट्रेन में जब भी आप टायलेट का प्रयोग करें , ओखिल बाबू का शुक्रिया अदा करना ना भूला करें !

*”ओखिल बाबू का वो पत्र आज भी दिल्ली के रेल्वे म्यूजियम में सुरक्षित और संरक्षित है ।”

- Advertisement -
For You

आपका विचार ?

Live

How is my site?

This poll is for your feedback that matter to us

  • 75% 3 Vote
  • 25% 1 Vote
  • 0%
  • 0%
4 Votes . Left
Via WP Poll & Voting Contest Maker
Latest news
Live Scores