सतना – प्रभारी नेतृत्व में अहंकार का कोई स्थान नहीं होता । यह अहंकार नेतृत्व को व्यक्तिगत और व्यवसायिक दोनों स्थितियों में कमजोर बनाता है । संगठन में सकारात्मकता विकसित करने में अहंकार सबसे बड़ी बाधा है । आज जनप्रतिनिधियों को अहंकार नहीं कृतज्ञता की आवश्यकता है । अपनी उल्लेखनीय क्षमता के साथ कृतज्ञता उन नेताओं के लिए शक्तिशाली उपकरण भी है जो सहज व संपन्न कार्य का वातावरण बनाना चाहते हैं जहां सभी ब्यूरोक्रेट प्रसन्न रहें और विकास कर सके । अपने 1 वर्षीय कार्यकाल में महापौर ने नगर निगम में भ्रष्टाचार का तांडव मचाकर कर्मचारियों और ब्यूरोक्रेसी को प्रसन्न कर लिया लेकिन जनता और विकास दोनों अपनी बदहाली पर आंसू बहाने पर मजबूर हैं?
आज विंध्य का विकास द्वार सतना महापौर की अक्षमता का दंश झेल रहा है । शहर की आंतरिक कालोनियों की दुर्दशा असराहनीय है बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं से कराह रही जनता रो रही है और आत्ममुग्ध महापौर 1 वर्ष का जश्न मना रहे हैं । पूरा शहर खुदा पड़ा है घटिया निर्माण कार्यों की गुणवत्ता ने शहर के मुंह में कालिख पोत दी है । महापौर ने सतना गौरव दिवस पर जनता का पैसा पानी जैसे बहाकर अपने पुत्र को लांच करने का प्रयास किया । आज जनता को भवन का नक्शा पास कराने के लिए भ्रष्टाचार के भारी दलदल से गुजरना पड़ रहा है । हद तो तब हो गई जब आर .एस.एस से निकले योगेश ताम्रकार के भ्रष्टाचार ने भगवान को भी नहीं छोड़ा । जिस प्रभु श्री राम मंदिर के लिए हमारे महान कार सेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दी । उन्हीं कारसेवकों को पार्टी के महापौर ने सतना के व्यंकटेश मंदिर में स्थापित हुई भगवान विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं खंडित हो चुकी है । यह महापौर का धर्म प्रेमी जनता के भावनाओं से खिलवाड़ है । महापौर ने 1 वर्ष में भाजपा की छवि बनाने में नहीं कमीशन खोरी को बढ़ावा दिया जो दुर्भाग्यपूर्ण है । उनके तिलिस्म ने जनता को प्रदूषित पानी और कीचड़ देकर खाज, खुजली और बीमारी दी है । जिसका बदला जनता आगामी विधानसभा चुनाव में लेने को आतुर दिखाई देती है ।